बहुत दिनों तक सोंचने के बाद आरूषि ने अपना फैसला अपनी माँ को सुनाया. वह आश्चर्यचकित रह गईं. उसकी माँ ने कुछ गुस्से में कहा "तुम आज के बच्चे कुछ सोंचते भी हो या नही. शादी नही करनी है ना सही. अब बच्चा गोद लेने की बात. अकेली कैसे पालोगी उसे." आरुषि शांत स्वर में बोली "मम्मी तुम जानती हो कि मैं बिना सोंचे कुछ नही करती. जहाँ तक अकेले पालने का सवाल है तो जीजा जी के ना रहने पर दीदी भी तो बच्चों को अकेले पाल रही है." "पर जरूरत क्या है." उसकी माँ ने विरोध किया. आरुषि ने समझाते हुए कहा "जरूरत है मम्मी. मुझे भी अपने जीवन में कोई चाहिए." "लोगों को क्या कहेंगे." उसकी माँ ने फिर अपनी बात कही. "वह मैं देख लूंगी." अपनी माँ के कुछ कहने से पहले ही वह कमरे से बाहर चली गई. आरुषि एक स्वावलंबी लड़की थी. वह शांत और गंभीर थी. अपने निर्णय स्वयं लेती थी. उसने निश्चय किया था कि वह अविवाहित रहेगी. इसलिए दबाव के बावजूद भी उसने अपना निर्णय नही बदला. लेकिन अब वह अपने आस पास कोई ऐसा चाहती थी जिसे वह अपना कह सके. एक बच्चा जिसे वह प्यार दे सके. वह ऐसा बच्चा...
नन्हें देशभक्त पूरी बिल्डिंग में हलचल थी। बिल्डिंग के छोटे बच्चों ने गणतंत्र दिवस पर तिरंगा यात्रा निकाली थी। सब अपने हाथों में तिरंगा लेकर एक किलोमीटर के दायरे में पैदल चलकर गए थे। बिल्डिंग में रहने वाला यूट्यूबर मानव अपने चैनल के लिए उसका वीडियो बना रहा था। यात्रा बिल्डिंग से शुरू होकर बिल्डिंग में ही आकर खत्म हुई थी। मानव अब बच्चों का इंटरव्यू ले रहा था। सब गणतंत्र दिवस के बारे में अंग्रेज़ी में अपनी जानकारी दे रहे थे। अपना इंटरव्यू खत्म करने के बाद मानव ने कहा, "ये नन्हें देशभक्त हमारे देश का उज्जवल भविष्य हैं। कल यही देश को आगे ले जाएंगे।" उसने सबसे एक बार ज़ोर से जय हिन्द बोलने को कहा। बच्चों ने भी पूरे उत्साह से जय हिन्द का नारा बुलंद किया। उन बच्चों के साथ पास खड़े दो और बच्चों की आवाज़ उस नारे में शामिल थी। उनके उत्साह में कोई कमी नहीं थी। उनके हाथों ने भी गर्व से तिरंगा थामा था। वह दोनों बाकी बच्चों से थोड़े अलग लग रहे थे। उनके कपड़ों से पता चल रहा था कि वह गरीब घर के हैं। शायद उनकी माताएं बिल्डिंग के घरों में काम करती होंगी। दोनों बहुत उत्साह से जय हिन्द ...