रचनाकार: आशीष कुमार त्रिवेदी की लघुकथा - खुशियों का खजाना बात तकरीबन बीस वर्ष पुरानी है। यह मोहल्ला लोअर मिडिल क्लास लोगों का था। जिनकी आमदनी छोटी किन्तु ख्वाहिशें बड़ी थीं। मोहल्ले में एक चीज़ की चर्चा बड़े ज़ोरों पर थी। 'सबरीना ट्रेडर्स' जिसका नारा था 'खुशियाँ अब आपके बजट में' सभी बस इसी विषय में बात रहे थे। सबरीना ट्रेडर्स सभी को आधी कीमत पर उनकी ज़रुरत का सामान जैसे टी .वी . फ्रिज सोफा टू -इन -वन इत्यादि दिलाने का वादा कर रहे थे। बस शर्त यह थी की सामन की १५ दिन पहले एडवांस बुकिंग करानी होगी और पूरे पैसे बुकिंग के समय ही देने होंगे। पहले तो लोग झिझक रहे थे किन्तु वर्मा जो कुछ ही दिन पूर्व मोहल्ले में रहने आया था ने पहल की और सामन की बुकिंग कराई। १५ दिन बाद उसका घर सामन से भर गया। वह औरों को अपना उदहारण देकर सामान की बुकिंग कराने के लिए प्रेरित करने लगा। उससे प्रेरणा पाकर कुछ और लोगों ने भी हिम्मत दिखाई और उनका घर भी मनचाहे सामान से भर गया। अब तो बात जंगल की आग की तरह फ़ैल गयी। सबरीना ट्रेडर्स के दफ्तर में बुकिंग कराने वालों का तांता लग गया। दूर दूर से लोग ब
नमस्ते मेरे Blog 'कथा संसार' में आपका स्वागत है। यह कहानियां मेरे अंतर्मन की अभिव्यक्ति हैं। मेरे मन की सीपी में विकसित मोती हैं।