बिट्टी को एक पॉलीथीन का थैला पकड़ाते हुए उसकी माँ ने कहा। "हम उधर झाड़ू लगा के कूड़ा इकट्ठा कर आए हैं। सब इसमें भर दे।" थैला लेकर बिट्टी उस तरफ दौड़ पड़ी। उसकी माँ इस बड़े अंग्रेज़ी स्कूल के आहते में सफाई का काम करती थी। मदद के लिए उसे भी साथ ले आती थी। कूड़ा उठाते हुए बिट्टी वहीं जाकर खड़ी हो गई जहाँ अक्सर खड़ी हो जाती थी। यह स्कूल का प्लेग्राउंड था। जिसके चारों तरफ लोहे के तार से बनी जालीदार चारदिवारी थी। बिट्टी जाली से प्लेग्राउंड में झांकमे लगी। "काम छोड़ कर वहाँ काहे खड़ी है।" अपनी माँ की डांट सुन कर बिट्टी अपने काम में लग गई। "वहाँ ऐसा क्या है जो ताका करती है।" बिट्टी की माँ ने गुस्से से पूँछा। बिट्टी चुप रही। वह साफ धुली यूनीफॉर्म पहने बच्चों को खेलते देख कर उनके बीच खुद के होने की कल्पना कर रोमांचित होती थी।
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