रचनाकार: आशीष कुमार त्रिवेदी की लघुकथा - मेरी इच्छा ईशान बेसब्री से अपने मम्मी डैडी के आने की प्रतीक्षा कर रहा था। बंसी ने कई बार कहा की वह खाना खाकर सो जाए नहीं तो मेमसाहब नाराज़ होंगी किन्तु वह कुछ सुनने को तैयार नहीं था। विभा और प्रसून दोनों मिलकर एक कंसल्टेंसी फर्म चलाते थे। बिजनेस बहुत अच्छा चल रहा था। दोनों सुबह बहुत जल्दी ही एक साथ दफ्तर को निकल जाते थे और एक साथ ही लौटते थे। अक्सर उन्हें बहुत देर हो जाती थी। आज भी उन्हें देर हो गयी थी। दरवाज़े की घंटी बजी। बंसी ने दरवाज़ा खोला। प्रसून घुसते ही सोफे पर पसर गया। विभा अपने बेडरूम में चली गयी। बंसी उन दोनों के लिए पानी लेकर आ रही थी। ईशान ने लपक कर उसके हाथ से ट्रे ले ली। पहले वह अपने डैडी के पास गया। प्रसून ने गिलास उठा लिया। ईशान ने कुछ कहना चाह तो उसे रोक कर वह बोला " बेटा जो कुछ भी कहना है अपनी मम्मी से कहो। आज मैं बहुत थका हुआ हूँ। यू आर अ गुड बॉय।" ईशान चुप चाप वहां से चला आया। जब वह विभा के पास पहुंचा तो उसे देखते ही बोल पड़ी " ईशान तुम अभी तक सोये नहीं। कितनी बार कहा जल्दी खाना खाकर सो जाया करो। सुबह स
नमस्ते मेरे Blog 'कथा संसार' में आपका स्वागत है। यह कहानियां मेरे अंतर्मन की अभिव्यक्ति हैं। मेरे मन की सीपी में विकसित मोती हैं।