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उड़नखटोला

वो अपनी साईकिल में बैठी तेज़ी से चली जा रही है। उसने सबको पीछे छोड़ दिया है। ऐसा लगता है मानो हवा के रथ पर सवार हो। जब भी कोई सामने आता दिखाई देता तो ' ट्रिन ट्रिन ' साईकिल की घंटी बजा देती। वो बहुत खुश है। " चंदा उठ आज इस्कूल नहीं जाना है क्या ? " उसकी माँ ने उसे झिंझोड़ कर जगाया। चंदा ने आँखें खोलीं। चारों तरफ देखा। वो अपनी खटिया पर थी। वो सपना देख रही थी। " क्यों आज इस्कूल की छुट्टी है क्या ? " उसकी माँ ने सवाल किया। चंदा ने ना में सर हिलाया और उठ कर तैयार होने चली गई। चंदा रोज़ एक लंबी दूरी तय करके स्कूल जाती है। कोई साधन न होने के कारण उसे पैदल ही जाना पड़ता है। आने जाने में बहुत वक़्त लगता है और वह थक भी जाती है। उसके पिता एक छोटे किसान थे। उनकी इच्छा थी कि वह खूब पढ़े। उनके जाने के बाद चंदा की माँ अब अपने पति की इस इच्छा पूरा करना चाहती है। अतः तकलीफें उठा कर भी उसे पढ़ा रही है। आठवीं तक की पढ़ाई उसने गाँव के स्कूल से की। किंतु आगे की पढ़ाई के लिए उसे दूसरे गाँव जाना पड़ता है। उसकी ही नहीं गाँव के हर बच्चे की जो आगे पढ़ना चाहता है यही समस्या है। चंदा प