लेखक उग्र की नई किताब सैलाब के लिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा था. सभी तरफ उसकी तारीफ कर रहे थे. इस गहमा गहमी के बीच वह अपने जीवन के विषय में विचार करने लगे. एक छोटे से गांव में पिछड़े वर्ग के एक गरीब परिवार में उनका जन्म हुआ था. समाज के भेदभाव पूर्ण रवैये ने जो अपमान एवं तिरस्कार दिया उसने मन में एक पीड़ा को जन्म दिया. किंतु इस पीड़ा से उपजे आंसुओं को उन्होंने अपने ह्रदय में जज़्ब कर लिया. अपने विचारों की भट्टी में तपाया. इसी का परिणाम था कि उनकी लेखनी उनके जैसे अनेक शोषित लोगों की आवाज़ बन गई. जो आज वह सैलाब लेकर आई थी जो समाज में परिवर्तन को जन्म देगा.
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