डिनर करते हुए सुभाष बहुत दुखी था। निराशा उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। पहले वह अपने यार दोस्तों से घिरा रहता था। खुले दिल खर्च करने वाला सुभाष बात बेबात पार्टी देता रहता था। लेकिन बीमारी के चलते सब खत्म हो गया। इलाज का खर्च सभी शौक पर भारी पड़ गया। आज के दिन दोस्तों में उसे तोहफा देने की होड़ लगी रहती थी। लेकिन इस जन्मदिन पर किसी ने उसे बधाई का संदेश तक नहीं भेजा।
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