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मई, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विषधर

बात अंग्रेज़ी राज की है। लाला दर्शनलाल पुराने रईसों में थे। उनके बाप दादा बहुत दौलत छोड़कर गए थे। अन्य रईसों की तरह वह भी शौक़ीन मिज़ाज़ थे। शौक पूरे करने के लिए दिल खोल कर खर्च करते थे। उनकी दो पत्नियां थीं।  प्रभावती और लीलावती। दोनों सगी बहनें थीं किन्तु उनमें बहनों जैसा प्रेम नहीं था। प्रभावती लीलावती से दस वर्ष बड़ी थी। जब वह सोलह साल की हुई तब उसका विवाह दर्शनलाल से हुआ। वो घर की मालकिन बन गई। छुटपन में जब लीलावती अपनी बहन के घर आती थी तो प्रभावती उसे अपने पूरे नियंत्रण में रखती थी। लीलावती को यह अच्छा नहीं लगता था। लीलावती ने जब यौवन में कदम रखा तो रूप और लावण्य में वह प्रभावती से कहीं अधिक थी। लाला दर्शनलाल उस पर लट्टू हो गए। प्रभावती से उन्हें कोई संतान भी नहीं थी। वो लीलावती से ब्याह करना चाहते थे। दैवयोग से उनके ससुर का देहांत हो गया। उन्होंने अपनी सास के समक्ष प्रस्ताव रखा। पहले तो वह हिचकिचाईं। किंतु बाद में उन्होंने पूरा गणित लगा कर सोंचा कि यदि वह कहीं और लीलावती का ब्याह करेंगी तो बहुत दहेज देना पड़ेगा। जिसके बाद उनके अपने निर्वाह के लिए कुछ नहीं बचेगा। जबकी दर्शनलाल बिना दह

कीमत

मिडिलक्लास मोहल्ले के एक दुमंज़िले मकान के सामने फुटपाथ पर चार रोटियां पड़ी थीं। शायद रात की बची हुई होंगी। घर की मालकिन ने यह सोंच कर कि गाय या कुत्ता खा लेगा रख दी होंगी। गली के दूसरे मोड़ से एक कबाड़ी आवाज़ लगाता हुआ दाखिल हुआ। मकान के सामने पहुँच कर वह ठिठका। फिर रोटियों को उठा कर उन्हें अपने गमछे में लपेट कर आगे बढ़ गया। 

आइना

गौतम देश के माने हुए चित्रकारों में था।  देश विदेश की जानी मानी  आर्ट गैलरियों में उसकी कलाकृतियों  का प्रदर्शन होता था। बड़े बड़े उद्योगपति, राजनेता, फ़िल्मी हस्तियां एवं अन्य गणमान्य लोग उसकी पेंटिंग्स खरीदते थे। कला के क्षेत्र में उसका बहुत सम्मान था। इस स्थान पर पहुँचने के लिए उसने कड़ी मेहनत की थी। उसका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। माता पिता की इच्छा उसे इंजीनियर बनाने की थी। किंतु उसका झुकाव तो कला की तरफ था। अतः सबकी नाराज़गी के बावजूद उसने फाइन आर्ट्स में दाखिला लिया। उसके विचारों में एक ताज़गी थी। जो उसकी पेंटिंग्स में भी झलकती थी। इसलिए हर कोई उन्हें पसंद करता था। वह भी पूरी मेहनत और लगन के साथ काम करता था। जल्द ही उसकी बनाई पेंटिंग्स का प्रदर्शन आर्ट गैलरियों में होने लगा। वह सफलता की सीढ़ियां चढने लगा।  इन्हीं दिनों उसकी मुलाकात रेहान से हुई। रेहान एक गरीब घर का लड़का था। वह कला का पुजारी था और गौतम को अपना आदर्श मानता था। गौतम ने उसकी आगे बढ़ने में सहायता की। उसे देश के प्रतिष्ठित फाइन आर्ट्स कॉलेज में प्रवेश दिलाया। रेहान भी अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ने लगा।  गौतम जि

रक्त बीज

मानव एक सीधा साधा व्यक्ति था। एक छोटी सी दुकान चलाता था। इतनी आमदनी हो जाती थी कि वह और उसका परिवार सुख से रह सकें। जीवन में किसी प्रकार की कमी महसूस नहीं होती थी। लेकिन अपने आस पास फैले अन्याय , अत्याचार , भ्रष्टाचार से उसका दिल दुखता था। वह इस सब को मिटाने के लिए कुछ करना चाहता था। एक बार उसकी दुकान के पास की मिठाई की दुकान पर कुछ बदमाशों ने खूब उत्पात मचाया। दुकान के मालिक को पीटा और रुपये लूट लिए। वो आदमी स्थानीय बाहुबली नेता के थे अतः उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। मानव से यह बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने कुछ दुकानदारों को एकत्रित कर इसका विरोध किया। बात न सुने जाने पर अनशन किया। अंत में वह उस दुकानदार को न्याय दिलाने में सफल हो गया। सारे बाज़ार में उसकी धाक जम गई। वह वहाँ के व्यापारियों का नेता बन गया। धीरे धीरे उसकी ख्याति बढ़ने लगी। इससे प्रेरित होकर उसने पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत गया। इस तरह वह राजनीति के गलियारे में पहुँच गया। उसके पास अधिकार आ गया। अब वह लोगों की भलाई के काम कर सकता था। लेकिन इसी के साथ कई प्रलोभन भी आये। जिनसे वह बच नहीं सका। उसने सोंचा यदि लोगों के साथ साथ