बटलर ने फूलों का एक गुलदस्ता लाकर समीर को दिया। समीर ने कार्ड निकाल कर पढ़ा। उसके एक मित्र ने भेजा था। " हैप्पी बर्थ डे सर। आज आप बहुत हैंडसम लग रहे हैं। " बटलर ने अदब के साथ कहा। " सारी तैयारियां हो गईं। " " जी सर " " ठीक है तुम जाओ " समीर मारिया का इंतज़ार कर रहा था। मारिया उस समय उसके जीवन में आई थी जब वह अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा था। कभी रफ़्तार के पहियों पर भागती उसकी ज़िन्दगी अस्पताल के बिस्तर पर आकर ठहर गई थी। फॉर्मूला 1 रेसर अब बिस्तर पर हिल डुल भी नहीं सकता था। सारा वक़्त वह ईश्वर से इस जीवन को समाप्त कर देने की प्रार्थना करता रहता था। निराशा के उस समय में मारिया उम्मीद की किरण बन कर आई। मारिया भारतीय नृत्य शैलियों पार शोध करने भारत आई थी। इसी दौरान उसने एक N.G.O को ज्वाइन किया जो ऐसे लोगों की सहायता एवं प्रोत्साहन के लिये काम करती थी जो रीढ़ की हड्डी में चोट लग जाने के कारण चलने फिरने में असमर्थ हो गए थे। मारिया एक ज़िंदादिल एवं साकारत्मक विचारों वाली लड़की थी। मारिया की मेहनत और लगन ने समीर में फिर से जीवन जीने की
नमस्ते मेरे Blog 'कथा संसार' में आपका स्वागत है। यह कहानियां मेरे अंतर्मन की अभिव्यक्ति हैं। मेरे मन की सीपी में विकसित मोती हैं।