बेटा दादी के चरण छूकर आशीर्वाद ले लो। मदन ने अपने बेटे से कहा। दादी ने आशीर्वाद दिया फिर बेटे से बोली "क्या फायदा भाग दौड़ का जब इसके भाग्य में ही अंधियारा लिखा है। तुम क्या भाग्य बदल दोगे।" "कैसी बातें करती हो अम्मा। हम किसान हैं। जमीन जोत कर बीज बोते हैं। फिर चाहें फसल अच्छी हो या खराब। हम कर्म तो करते ही हैं ना।" मदन ने अपनी माँ को समझाया फिर अपने बेटे से बोला "वह नेत्रहीनों का विशेष स्कूल है। देखना तेरी मेहनत सारे अंधियारे मिटा देगी।"
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