अस्पताल के कॉरिडोर में कुर्सी पर बैठी मिसेज बाजपेई छत को ताक रही थीं। अपने बेटे के शब्द उनके कान में गूँज रहे थे " माँ मैं ऐसा कुछ करना चाहता हूँ जिससे समाज का भला हो। जिसके द्वारा मरने के बाद भी मैं किसी न किसी रूप में ज़िंदा रहूँ। " किंतु जिस बेटे को मुसीबतें झेल कर पाला था वह २५ वर्ष की उम्र में ही सड़क हादसे का शिकार हो गया। कुछ क्षणों पहले ही डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अपने बेटे की इच्छा पूरी करने के लिए वो उठीं और डाक्टर को अपना फैसला बताया। उनका बेटा अब दूसरों को जीवन देगा। अपनी मृत्यु के बाद भी जीवित रहेगा।
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