डिनर के बाद सुधीर स्टडी में चला गया. एक महत्वपूर्ण केस उनकी वकालत फर्म को लड़ने के लिए मिला था. उसकी तैयारी के लिए आज देर रात तक काम करना था. कुछ देर बाद अवनि स्टडी में आई. चुपचाप कॉफी का मग रख कर जाने लगी. "अवनि ज़रा ठहरना." सुधीर ने पीछे से आवाज़ दी. जाते हुए अवनि ठिठक गई. सुधीर की तरफ देख कर बोली "क्या हुआ." उसके इस तरह चौंक जाने से सुधीर उसे तसल्ली देते हुए बोला "कुछ नहीं, कुछ देर यहाँ बैठो." अवनि उसके पास जाकर बैठ गई. उसकी आँखों में अभी भी प्रश्न था. सुधीर ने फाइल बंद करके रख दी. उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उसने प्यार से पूँछा "कोई परेशानी है." "नहीं, कोई परेशानी नहीं है. आपने यह सवाल क्यों किया." "मैंने महसूस किया है. आजकल तुम बहुत खामोश रहती हो. पहले तो कभी इतनी चुप नहीं रहती थी." "वो कुछ थकावट सी रहती है." अवनि ने सफाई दी. "तभी तो कहता हूँ कि इतना काम मत किया करो. मैं तो व्यस्तता के कारण तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता. तुम कोई मेड क्यों नहीं रख लेती हो." "परेशान होने की आवश्यक्त
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