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कठिन फैसला

ज्योती के लिए आसान नहीं था किंतु अपने फैसले पर पहुँच कर उसके दिल को बहुत सुकून मिला था। कविता मौसी ने उसके लिए बहुत कुछ किया। उसका सुरक्षित वर्तमान उनका ही उपकार था। अनाथ होने के बाद जब सारे रिश्तेदार उससे किनारा कर गए थे तब मौसी उसका सहारा बनी थीं। जबकी उनका उससे कोई रिश्ता नहीं था। वह उसकी माँ की सहेली थीं। कविता मौसी की देखभाल करने वाला कोई नहीं था। वह बहुत बीमार थीं। ज्योती ने उन्हें अपने पास रखने का फैसला किया था। यह फैसला उसकी ससुराल में किसी को मंजूर नहीं था। उसके पति का कहना था कि मदद करनी है तो उन्हें किसी अच्छे वृद्धाश्रम में भिजवा दो। लेकिन ज्योती मौसी के उपकार नहीं भुला सकती थी। वह उन्हें घर ले आई।