रोज़ की तरह चेतन हवाई अड्डे के पास बनी टी स्टॉल पर चाय पीते हुए वहाँ काम करने वाले गुड्डू से बात कर रहा था। एक हवाई जहाज ऊपर से उड़ा तो गुड्डू बड़े चाव से उसे देखने लगा। चेतन ने उससे पूँछा। "यहाँ तो दिन में कई बार हवाई जहाज निकलते हैं। फिर तुम हर बार इतने चाव से क्या देखते हो?" "वो भइया मैं सोंचता हूँ कि जहाज में बैठे लोगों में से कोई ऐसा भी होगा जो कभी मेरी तरह गरीब रहा होगा।" कहते हुए उसकी आँखों में चमक आ गई। "शायद एक दिन मैं भी....."
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