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नमित ने जब अपना फैसला सुनाया तो उसके माता पिता परेशान हो गए। माँ ने रोते हुए कहा कि उन लोगों ने मेहनत करके उसे इसलिए पढ़ाया था कि वह गांव में जाकर अपना जीवन बर्बाद कर ले। नमित जानता था कि गांव की समस्या पलायन से दूर नहीं होगी। उल्टा शहरों पर अनावश्यक बोझ बढ़ेगा। इसलिए जलविज्ञान की पढ़ाई करने के बाद उसने तय किया था कि अपने गांव जाकर हर साल पड़ने वाले सूखे से निपटने की लड़ाई लड़ेगा।