पत्नी उसके सामने गिड़गिड़ा रही थी। यही कुछ पैसे थे उसके पास। इन्हीं के सहारे पूरा महीना काटना था। उसका पांच वर्ष का बेटा सहमा सा अपनी के पीछे छिपा था। उसने एक नहीं सुनी। पत्नी के हाथ से पैसे छीन लिए और निकल गया।
पांच वर्ष पूर्व उसने इस नशे को चखा था जब ज़िंदगी का नशा पूरे शबाब पर था। उसका बिजनेस अच्छा चल रहा था। सुन्दर सुशील पत्नी थी जो जल्द ही उसकी संतान को जन्म देने वाली थी। सब कुछ सही चल रहा था। बस एक ही गलत बात ने सब कुछ बिगाड़ दिया। ज़िन्दगी के नशे की जगह इस नशे ने ले ली। ये नशा धीरे धीरे उसका सब कुछ निगल गया। उसका बिजनेस ,पारिवारिक सुख। उसके भीतर की सारी संवेदनाओं को भी इसने सोख लिया। अब वो एक खोखला शरीर मात्र रह गया है।
उसने अपनी ज़िंदगी को इस नशे के पास गिरवी रख दिया है। अब रोज़ एक पुड़िया की शक्ल में उसे किश्तों में वापस मिलती है। धीरे धीरे वो एक अँधेरे गर्त में उतर गया जहाँ से लौटना बहुत कठिन है।
http://www.tumbhi.com/writing/short-stories/gart/ashish-trivedi/56752#.VKtzwEgFgF0.facebook
पांच वर्ष पूर्व उसने इस नशे को चखा था जब ज़िंदगी का नशा पूरे शबाब पर था। उसका बिजनेस अच्छा चल रहा था। सुन्दर सुशील पत्नी थी जो जल्द ही उसकी संतान को जन्म देने वाली थी। सब कुछ सही चल रहा था। बस एक ही गलत बात ने सब कुछ बिगाड़ दिया। ज़िन्दगी के नशे की जगह इस नशे ने ले ली। ये नशा धीरे धीरे उसका सब कुछ निगल गया। उसका बिजनेस ,पारिवारिक सुख। उसके भीतर की सारी संवेदनाओं को भी इसने सोख लिया। अब वो एक खोखला शरीर मात्र रह गया है।
उसने अपनी ज़िंदगी को इस नशे के पास गिरवी रख दिया है। अब रोज़ एक पुड़िया की शक्ल में उसे किश्तों में वापस मिलती है। धीरे धीरे वो एक अँधेरे गर्त में उतर गया जहाँ से लौटना बहुत कठिन है।
http://www.tumbhi.com/writing/short-stories/gart/ashish-trivedi/56752#.VKtzwEgFgF0.facebook
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें