वह जानता था कि उसकी चलाई गोली सही निशाने पर लगी थी। उसे तसल्ली हुई कि एक और खतरा कम हुआ। पिछले दो घंटे से मुटभेड़ जारी थी। दोपहर को उन्हें खबर मिली थी कि कैंप पर आतंकी हमला हुआ है। वह अपने साथियों के साथ उनका मुकाबला करने आया था। दोनों साथी मुटभेड़ में मारे जा चुके थे। वह भी बुरी तरह घायल था। वह दो तरफा लड़ाई लड़ रहा था। एक आतंकियों से दूसरी अपनी टूटती सासों से। पर वह दोनों मोर्चों पर डटा था। तभी किसी आतंकी के पास आते कदमों की आहट सुनाई पड़ी। उसने अपनी टूटती शक्ती को समेटा और ट्रिगर दबा दिया। किंतु सांसों की डोर टूट गई।
सब तरफ चर्चा थी कि गीता पुलिस थाने के सामने धरने पर बैठी थी। उसने अजय के खिलाफ जो शिकायत की थी उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। पिछले कई महीनों से गीता बहुत परेशान थी। कॉलेज आते जाते अजय उसे तंग करता था। वह उससे प्रेम करने का दावा करता था। गीता उसे समझाती थी कि उसे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। वह सिर्फ पढ़ना चाहती है। लेकिन अजय हंस कर कहता कि लड़की की ना में ही उसकी हाँ होती है। गीता ने बहुत कोशिश की कि बात अजय की समझ में आ जाए कि उसकी ना का मतलब ना ही है। पर अजय नहीं समझा। पुलिस भी कछ नहीं कर रही थी। हार कर गीता यह तख्ती लेकर धरने पर बैठ गई कि 'लड़की की ना का सम्मान करो।' सभी उसकी तारीफ कर रहे थे।
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