आज कल हॉलीवुड से आई एक जोड़ी चर्चा में थी। अभिनेत्री जेसिका ब्राउन और उनके निर्माता निर्देशक पति स्टीव हेमिल्टन। दोनों कुछ ही दिन पहले विवाह बंधन में बंधे थे और लंबी छुट्टी पर भारत भ्रमण के लिए आये थे। अपने भारत प्रेम के कारण मीडिया में उन्हें बहुत कवरेज़ मिल रही थी।
कई शहरों का भ्रमण करने के बाद वो दोनों अपनी अनोखी तहज़ीब के लिए मशहूर नवाबों के इस शहर में आये थे। यहाँ बहुत कुछ हैं जो हमें उस पुराने इतिहास की याद दिलाता है। शहर की ऐतिहासिक इमारतें आज भी आकर्षण का केंद्र हैं।
इनके साथ साथ शहर में आज भी चलने वाले तांगे उस दौर की याद दिलाते हैं जो अब इतिहास का हिस्सा है।इस शहर का मिज़ाज बहुत बदल गया है। फुर्सत तो जैसे शब्कोष में दफ़न एक लफ्ज़ बन गया है। सभी एक अजीब सी भागम भाग में मशगूल हैं। ऐसे में तांगे की सवारी उन्हें बहुत बोरिंग जान पड़ती है। इसलिए इस धंधे में आमदनी घटती जा रही है। अब बहुत कम तांगेवाले इस काम में रह गए हैं।
अब्दुल उन चंद बचे हुए तांगेवालों में से एक है। कल रात फिर उसका अपनी बीवी फातिमा से झगड़ा हुआ। फातिमा चाहती है कि वह औरों की तरह यह क़ाम छोड़कर कुछ और करे। अब्दुल जब भी इस विषय में सोचता है तो उसे अपने वफ़ादार घोड़े जंगी का खयाल आता है। वह जानता है की यदि उसने यह काम छोड़ा तो उसे जंगी को भी छोडना पड़ेगा। ना जाने फिर जंगी का क्या होगा। उसे छोड़ने के ख़याल से ही वह डरता है।
अब्दुल ने रोज़ की तरह जंगी को खिलाया उसे साफ़ किया और फिर तांगे में जोत दिया। चलने से पहले उसने दुआ की कि आज उसकी कमाई अच्छी हो। तांगा लेकर वह उसी जगह पहुंचा जहां रोज़ सवारी के लिऐ खडा होता था। किंतु आज तो वहां मेले जैसा माहौल था। भीड़ लगी थी और सभी एक तरफ ही देख रहे थे। सभी एक ही बात बोल रहे थे " अरे ये तो वही हैं। " "हाँ वही हैं।"
अब्दुल ने अपने साथी तांगेवाले से पूँछा " क्या बात है भाई ये इतनी भीड़ क्यों है?"
" अरे वो अंग्रेजी सिनेमा में काम करने वाले लोग आये हैं। उन्हें देखने के लिए ही यह भीड़ जमा हुईं है।"
तभी जेसिका की नजर अब्दुल के तांगे पर पडी " वॉव सो ब्यूटीफुल हनी, आइ वाना राइड।"
स्टीव ने टूटीफूटी हिंदी में कहा " हमें अपने तांगे में घुमाएगा। "
जेसिका और स्टीव अब्दुल के तांगे पर सवार होकर पूरे शहर में घूमे। समाचारपत्रों में अगले दिन दोनों की तस्वीर छपी। साथ में स्टीव का बयान कि तांगे में अपनी पत्नी के साथ घूमना उनके लिए एक बहुत ही रोमांटिक अनुभव रहा। उन दोनों के साथ साथ अब्दुल का भी नाम समाचार पत्रों में आया।
कहते हैं मेहमान भगवान समान होते हैं। जेसिका और स्टीव के संबंध में यह बात सही साबित हुई। वे दोनों तो चले गए किंतु शहर के युवाओं को तांगे की सवारी बहुत रोमांटिक लगने लगी। अपनी प्रेमिका के साथ तांगे की सवारी करने का एक चलन बन गया।
अब्दुल और उसके जैसे तांगेवालों के दिन बदल गए।
http://www.tumbhi.com/writing/short-stories/atithi-devo-bhav/ashish-trivedi/51320#.U37P-oZnqyU.facebook
कई शहरों का भ्रमण करने के बाद वो दोनों अपनी अनोखी तहज़ीब के लिए मशहूर नवाबों के इस शहर में आये थे। यहाँ बहुत कुछ हैं जो हमें उस पुराने इतिहास की याद दिलाता है। शहर की ऐतिहासिक इमारतें आज भी आकर्षण का केंद्र हैं।
इनके साथ साथ शहर में आज भी चलने वाले तांगे उस दौर की याद दिलाते हैं जो अब इतिहास का हिस्सा है।इस शहर का मिज़ाज बहुत बदल गया है। फुर्सत तो जैसे शब्कोष में दफ़न एक लफ्ज़ बन गया है। सभी एक अजीब सी भागम भाग में मशगूल हैं। ऐसे में तांगे की सवारी उन्हें बहुत बोरिंग जान पड़ती है। इसलिए इस धंधे में आमदनी घटती जा रही है। अब बहुत कम तांगेवाले इस काम में रह गए हैं।
अब्दुल उन चंद बचे हुए तांगेवालों में से एक है। कल रात फिर उसका अपनी बीवी फातिमा से झगड़ा हुआ। फातिमा चाहती है कि वह औरों की तरह यह क़ाम छोड़कर कुछ और करे। अब्दुल जब भी इस विषय में सोचता है तो उसे अपने वफ़ादार घोड़े जंगी का खयाल आता है। वह जानता है की यदि उसने यह काम छोड़ा तो उसे जंगी को भी छोडना पड़ेगा। ना जाने फिर जंगी का क्या होगा। उसे छोड़ने के ख़याल से ही वह डरता है।
अब्दुल ने रोज़ की तरह जंगी को खिलाया उसे साफ़ किया और फिर तांगे में जोत दिया। चलने से पहले उसने दुआ की कि आज उसकी कमाई अच्छी हो। तांगा लेकर वह उसी जगह पहुंचा जहां रोज़ सवारी के लिऐ खडा होता था। किंतु आज तो वहां मेले जैसा माहौल था। भीड़ लगी थी और सभी एक तरफ ही देख रहे थे। सभी एक ही बात बोल रहे थे " अरे ये तो वही हैं। " "हाँ वही हैं।"
अब्दुल ने अपने साथी तांगेवाले से पूँछा " क्या बात है भाई ये इतनी भीड़ क्यों है?"
" अरे वो अंग्रेजी सिनेमा में काम करने वाले लोग आये हैं। उन्हें देखने के लिए ही यह भीड़ जमा हुईं है।"
तभी जेसिका की नजर अब्दुल के तांगे पर पडी " वॉव सो ब्यूटीफुल हनी, आइ वाना राइड।"
स्टीव ने टूटीफूटी हिंदी में कहा " हमें अपने तांगे में घुमाएगा। "
जेसिका और स्टीव अब्दुल के तांगे पर सवार होकर पूरे शहर में घूमे। समाचारपत्रों में अगले दिन दोनों की तस्वीर छपी। साथ में स्टीव का बयान कि तांगे में अपनी पत्नी के साथ घूमना उनके लिए एक बहुत ही रोमांटिक अनुभव रहा। उन दोनों के साथ साथ अब्दुल का भी नाम समाचार पत्रों में आया।
कहते हैं मेहमान भगवान समान होते हैं। जेसिका और स्टीव के संबंध में यह बात सही साबित हुई। वे दोनों तो चले गए किंतु शहर के युवाओं को तांगे की सवारी बहुत रोमांटिक लगने लगी। अपनी प्रेमिका के साथ तांगे की सवारी करने का एक चलन बन गया।
अब्दुल और उसके जैसे तांगेवालों के दिन बदल गए।
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