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मासूम

शहर के बड़े अस्पताल के I.C.U में  चाइल्ड स्टार आयुष ज़िन्दगी और मौत के बीच झूल रहा था। डाक्टरों के अनुसार अत्यधिक थकान और नींद की कमी के कारण ऐसा हुआ था।
तीन साल पहले आयुष एक आम बच्चा था जो स्कूल जाता था , दोस्तों के साथ मस्ती करता था। उसके पिता एक कंपनी में काम करते थे और माँ एक गृहणी थीं। एक मिडिलक्लास परिवार था। लेकिन आयुष बहुत खुश था। उसने स्कूल के वार्षिक समारोह में एक प्ले में हिस्सा लिया जहां एक विज्ञापन निर्माता ने उसे देखा। उसने आयुष के माता पिता को उसे एक विज्ञापन फिल्म में काम करने देने को राज़ी कर लिया। अपनी पहली विज्ञापन फिल्म से ही आयुष चर्चित हो गया। फिर तो उसके लिए कई ऑफर्स आने लगे। काम इतना मिलाने लगा कि उसके पिता ने नौकरी छोड़ उसका काम संभाल लिया। विज्ञापन फिल्मों के अलावा आयुष डेली सोप , अवार्ड फंक्शन में भी दिखने लगा। उसके पिता प्रयास करते कि उसे अधिक से अधिक काम मिल सके। देखते देखते आयुष स्टार बन गया।
काम के साथ साथ पैसा भी आया। उसका परिवार अब शहर के पॉश इलाके में रहता था। घर में किसी चीज़ की कमी नहीं रह गई थी। आयुष का कमरा ढेर सारे खिलौनों से भरा था। किंतु उनसे खेलने के लिए फुर्सत अब उसके पास नहीं थी। अब वह इतना काम कर थकने लगा था। उसका मन अब पुराने वक़्त के लिए तरसता था जब वह बेफ़िक्री से खेलता कूदता था।
उसने कई बार अपने पिता से बताया था कि वह बहुत थकान महसूस करता है। किंतु उसके पिता ने यह कह कर टाल दिया कि बस कुछ और दिन फिर वह उसे लंबी छुट्टी पर ले जाएंगे। आयुष दिनों दिन कमज़ोर पड़ रहा था। उसका शरीर और नहीं झेल सका और काम के दौरान वह बेहोश हो गया।
अस्पताल के कॉरिडोर में बैठे आयुस के पिता का फोन वाइब्रेट करने लगा वह बहार जाकर बात करने लगे।
" माथुर साहब नमस्कार  …… नहीं आप घबराएं नहीं आयुष आपकी फिल्म में काम करेगा। हमने शहर के बेहतरीन अस्पताल में उसे भर्ती किया है। वह जल्दी ठीक हो जाएगा। "
अंदर I.C.U  में हलचल मची थी। लालच का राक्षस उस मासूम बच्चे को लील रहा था।


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