घर के बागीचे में चाय पीते हुए विमला ने अपने जेठ से कहा।
"देखिए भइया हमने कितने चाव से घर बनाया था। अब दोनों बच्चे बाहर हैं। वहीं अपना ठिकाना बना लेंगे। क्या लाभ इस घर का।"
उसके पति ने भी उसका समर्थन किया।
विमला के जेठ ने हंस कर कहा।
"चिड़िया अपना घोंसला अंडे सेने के लिए बनाती है। फिर उसमें से बच्चे निकलते हैं। एक दिन उनके पंखों में आसमान छूने की ताकत आ जाती है। तब चिड़िया उन्हें घोंसले में कैद नहीं करती है।"
विमला और उसके पति बात का अर्थ समझ गए।
"देखिए भइया हमने कितने चाव से घर बनाया था। अब दोनों बच्चे बाहर हैं। वहीं अपना ठिकाना बना लेंगे। क्या लाभ इस घर का।"
उसके पति ने भी उसका समर्थन किया।
विमला के जेठ ने हंस कर कहा।
"चिड़िया अपना घोंसला अंडे सेने के लिए बनाती है। फिर उसमें से बच्चे निकलते हैं। एक दिन उनके पंखों में आसमान छूने की ताकत आ जाती है। तब चिड़िया उन्हें घोंसले में कैद नहीं करती है।"
विमला और उसके पति बात का अर्थ समझ गए।
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