डॉक्टर व्योम दुनिया के जाने माने वैज्ञानिक थे। अपने आविष्कारों के कारण वो कई राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके थे। देश एवं विदेश में उनकी बहुत प्रतिष्ठा थी।
एक छोटे से हिल स्टेशन में लोगों से दूर उनका मैनसन था। यहाँ एक गुप्त प्रयोगशाला थी। इसमें सबसे छुपा कर डॉक्टर व्योम अपने नए आविष्कार में व्यस्त थे। चिर यौवन की प्राप्ति। डॉक्टर व्योम बहुत ही महत्वाकांक्षी व्यक्ति थे। जीवन के सभी सुखों का भोग अंत तक करने की उनकी इच्छा थी। किंतु प्रकृति का चक्र है। इसमें मनुष्य अपने यौवनकाल में ही सांसारिक सुखों का सर्वाधिक उपभोग कर सकता है। यौवन ढलने के साथ साथ इन्द्रियां शिथिल पड़ने लगती हैं। डॉक्टर व्योम उसी अवस्था को प्राप्त हो चके थे। अतः अपने यौवन को पुनः प्राप्त करना चाहते थे।
युवावस्था से ही डॉक्टर व्योम बहुत आत्मकेंद्रित थे। प्रेम में उनका विश्वास नहीं था। स्त्री पुरुष के बीच का संबंध वो केवल शारीरिक सुख तक ही मानते थे। अतः उन्होंने विवाह नहीं किया था। कॉलेज के ज़माने में रोहिणी नाम की लड़की से उनका संबंध हुआ था। किंतु रोहिणी उनसे प्रेम करती थी। उसने डॉक्टर व्योम के सम्मुख विवाह का प्रस्ताव रखा किंतु उन्होंने इन्कार कर दिया। रोहिणी ने उन पर कोई दबाव नहीं डाला। चुपचाप उनके जीवन से चली गई। उसके बाद कई स्त्रियां समय समय पर उनके जीवन में आईं किंतु महज़ शारीरिक सुख के लिए।
अपने आविष्कार की सफलता के लिए उन्हें एक युवक की आवश्यकता थी। दैवयोग से एक दिन एक सुदर्शन नवयुवक उनसे मिलने आया। उसकी उम्र तेईस चौबीस वर्ष की होगी। वह उनका प्रशंशक था और उनके साथ रह कर कुछ सीखने की इच्छा रखता था। उसका नाम नभ था। डॉक्टर व्योम ने अपने आविष्कार की सफलता के बारे में सोंचकर उसे अपने पास रख लिया।
धीरे धीरे उन्होंने अपने प्रयोग पर काम करना शुरू किया। उन्होंने एक ऐसी मशीन बनाई थी जिसके ज़रिये किसी युवक की ऊर्जा एवं यौवन अपने शरीर में हस्तांतरित किया जा सकता था। इसके लिए उस युवक को कुछ दिन तक विशेष अौषधियां देने की आवश्यकता थी। उन्होंने नभ को अपनी गुप्त प्रयोगशाला में क़ैद कर दवाइयाँ देनी शुरू कर दीं। हालाँकि जब पहली बार उन्होंने उसे देखा था तो ना जाने क्यों उन्हें उसमें अपनी युवावस्था की छवि नज़र आई थी। उसके प्रति उन्होंने एक खिंचाव सा अनुभव किया। किंतु सुख भोग की लालसा और चिरयौवन के लालच ने उसे दबा दिया।
आखिर वह दिन आ गया जब वह अपने प्रयोग की अंतिम सीढ़ी पर पहुँच गए। उन्होंने नभ को अपनी ईज़ाद की गई मशीन में लिटा दिया। स्वयं वह मशीन के दूसरे हिस्से में जो कांच का एक कमरा था जाकर बैठ गए। उन्होंने भीतर स्थित पैनल पर कुछ बटन दबाये। वो आश्वस्त थे कि बस कुछ ही मिनटों में वे फिर जवान हो जायेंगे।
किंतु उनका प्रयोग असफल रहा। वो वैसे ही रहे। लेकिन औषधियों के दुष्प्रभाव के कारण नभ को अपने प्राण गवाने पड़े। डॉक्टर व्योम को बहुत धक्का लगा। जीवन में पहली बार नभ के लिए उन्हें बहुत बुरा लग रहा था। वो टूट चके थे।
एक दिन दोपहर में उन्हें एक पत्र मिला। यह रोहिणी का था। उसमे लिखा था कि उसने उनकी संतान को जन्म दिया था। उसे पाला पोसा उसका विवाह किया। किंतु दुर्भाग्यवश वह और उसकी पत्नी एक छोटे से शिशु को उसे सौंपकर एक कार दुर्घटना में मारे गए। अपने को संभाल कर रोहणी ने उसे भी पाल पोस कर बड़ा किया। वह अब जवान हो गया है और वैज्ञानिक बनना चाहता है। आपको बहुत मानता है। अतः वह आपके पास आ रहा है। साथ में एक फोटो थी। वह नभ था। पत्र पर एक महीने पीछे की तारिख थी। इस दूर दराज़ के इलाके में पहुचने में उसे वक़्त लग गया था।
डॉक्टर व्योम की आँखों के आगे अँधेरा छा गया। अपनी लालसा और लालच में उन्होंने अपने ही पोते को मार दिया था।
http://www.tumbhi.com/writing/short-stories/yayaati/ashish-trivedi/59316#.VT8fuJQ3Z_E.facebook
एक छोटे से हिल स्टेशन में लोगों से दूर उनका मैनसन था। यहाँ एक गुप्त प्रयोगशाला थी। इसमें सबसे छुपा कर डॉक्टर व्योम अपने नए आविष्कार में व्यस्त थे। चिर यौवन की प्राप्ति। डॉक्टर व्योम बहुत ही महत्वाकांक्षी व्यक्ति थे। जीवन के सभी सुखों का भोग अंत तक करने की उनकी इच्छा थी। किंतु प्रकृति का चक्र है। इसमें मनुष्य अपने यौवनकाल में ही सांसारिक सुखों का सर्वाधिक उपभोग कर सकता है। यौवन ढलने के साथ साथ इन्द्रियां शिथिल पड़ने लगती हैं। डॉक्टर व्योम उसी अवस्था को प्राप्त हो चके थे। अतः अपने यौवन को पुनः प्राप्त करना चाहते थे।
युवावस्था से ही डॉक्टर व्योम बहुत आत्मकेंद्रित थे। प्रेम में उनका विश्वास नहीं था। स्त्री पुरुष के बीच का संबंध वो केवल शारीरिक सुख तक ही मानते थे। अतः उन्होंने विवाह नहीं किया था। कॉलेज के ज़माने में रोहिणी नाम की लड़की से उनका संबंध हुआ था। किंतु रोहिणी उनसे प्रेम करती थी। उसने डॉक्टर व्योम के सम्मुख विवाह का प्रस्ताव रखा किंतु उन्होंने इन्कार कर दिया। रोहिणी ने उन पर कोई दबाव नहीं डाला। चुपचाप उनके जीवन से चली गई। उसके बाद कई स्त्रियां समय समय पर उनके जीवन में आईं किंतु महज़ शारीरिक सुख के लिए।
अपने आविष्कार की सफलता के लिए उन्हें एक युवक की आवश्यकता थी। दैवयोग से एक दिन एक सुदर्शन नवयुवक उनसे मिलने आया। उसकी उम्र तेईस चौबीस वर्ष की होगी। वह उनका प्रशंशक था और उनके साथ रह कर कुछ सीखने की इच्छा रखता था। उसका नाम नभ था। डॉक्टर व्योम ने अपने आविष्कार की सफलता के बारे में सोंचकर उसे अपने पास रख लिया।
धीरे धीरे उन्होंने अपने प्रयोग पर काम करना शुरू किया। उन्होंने एक ऐसी मशीन बनाई थी जिसके ज़रिये किसी युवक की ऊर्जा एवं यौवन अपने शरीर में हस्तांतरित किया जा सकता था। इसके लिए उस युवक को कुछ दिन तक विशेष अौषधियां देने की आवश्यकता थी। उन्होंने नभ को अपनी गुप्त प्रयोगशाला में क़ैद कर दवाइयाँ देनी शुरू कर दीं। हालाँकि जब पहली बार उन्होंने उसे देखा था तो ना जाने क्यों उन्हें उसमें अपनी युवावस्था की छवि नज़र आई थी। उसके प्रति उन्होंने एक खिंचाव सा अनुभव किया। किंतु सुख भोग की लालसा और चिरयौवन के लालच ने उसे दबा दिया।
आखिर वह दिन आ गया जब वह अपने प्रयोग की अंतिम सीढ़ी पर पहुँच गए। उन्होंने नभ को अपनी ईज़ाद की गई मशीन में लिटा दिया। स्वयं वह मशीन के दूसरे हिस्से में जो कांच का एक कमरा था जाकर बैठ गए। उन्होंने भीतर स्थित पैनल पर कुछ बटन दबाये। वो आश्वस्त थे कि बस कुछ ही मिनटों में वे फिर जवान हो जायेंगे।
किंतु उनका प्रयोग असफल रहा। वो वैसे ही रहे। लेकिन औषधियों के दुष्प्रभाव के कारण नभ को अपने प्राण गवाने पड़े। डॉक्टर व्योम को बहुत धक्का लगा। जीवन में पहली बार नभ के लिए उन्हें बहुत बुरा लग रहा था। वो टूट चके थे।
एक दिन दोपहर में उन्हें एक पत्र मिला। यह रोहिणी का था। उसमे लिखा था कि उसने उनकी संतान को जन्म दिया था। उसे पाला पोसा उसका विवाह किया। किंतु दुर्भाग्यवश वह और उसकी पत्नी एक छोटे से शिशु को उसे सौंपकर एक कार दुर्घटना में मारे गए। अपने को संभाल कर रोहणी ने उसे भी पाल पोस कर बड़ा किया। वह अब जवान हो गया है और वैज्ञानिक बनना चाहता है। आपको बहुत मानता है। अतः वह आपके पास आ रहा है। साथ में एक फोटो थी। वह नभ था। पत्र पर एक महीने पीछे की तारिख थी। इस दूर दराज़ के इलाके में पहुचने में उसे वक़्त लग गया था।
डॉक्टर व्योम की आँखों के आगे अँधेरा छा गया। अपनी लालसा और लालच में उन्होंने अपने ही पोते को मार दिया था।
http://www.tumbhi.com/writing/short-stories/yayaati/ashish-trivedi/59316#.VT8fuJQ3Z_E.facebook
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें