गीता देवी की पूरे गाँव में बहुत इज़्ज़त थी. उन्होंने गाँव की सभी औरतों को आर्थिक रूप से सबल बनने की राह दिखाई थी. आज उनके सिलाई के कारखाने का उद्घाटन था. यहाँ गाँव की अधिकांश महिलाओं को सिलाई का काम मिलने वाला था. मुख्य अतिथि के तौर पर महिला एवं बाल विकास विभाग के एक उच्च अधिकारी आने वाले थे. सभी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे.
मुख्य अतिथि के आते ही हलचल सी मच गई. गीता देवी ने आगे बढ़ कर उनका स्वागत किया. उन्हें देखते ही मुख्य अतिथि चौंक गए. किंतु गीता देवी ने बिना कोई भाव प्रदर्शित किए उनसे फीता काटने को कहा. उद्घाटन के बाद लोगों के कहने पर वह भाषण देने लगे "गीता देवी जैसी महिलांए समाज का गौरव हैं. ऐसी महिलाओं पर हमें गर्व हैं."
गीता देवी मन ही मन मुस्कुरा रही थीं. कैसा दोगला व्यक्ति है. जिसे अपने मलमल जैसे जीवन में टाट का पैबंद कह कर घर से निकाल दिया था आज उसी की तारीफ कर रहा था.
मुख्य अतिथि के आते ही हलचल सी मच गई. गीता देवी ने आगे बढ़ कर उनका स्वागत किया. उन्हें देखते ही मुख्य अतिथि चौंक गए. किंतु गीता देवी ने बिना कोई भाव प्रदर्शित किए उनसे फीता काटने को कहा. उद्घाटन के बाद लोगों के कहने पर वह भाषण देने लगे "गीता देवी जैसी महिलांए समाज का गौरव हैं. ऐसी महिलाओं पर हमें गर्व हैं."
गीता देवी मन ही मन मुस्कुरा रही थीं. कैसा दोगला व्यक्ति है. जिसे अपने मलमल जैसे जीवन में टाट का पैबंद कह कर घर से निकाल दिया था आज उसी की तारीफ कर रहा था.
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