सुमन ने जो किया उसके लिए सभी उसकी तारीफ कर रहे थे। उसने एक दुधमुंहे अनाथ बच्चे की माँ बनना स्वीकार किया था।
"सुमन तुमने तो समाज के लिए एक आदर्श पेश किया है। ना जाने वो कैसी माँ होगी जिसने इतने छोटे बच्चे को बेसहारा छोड़ दिया था।"
यह कहते हुए सुमन की सहेली ने उसे गले लगा लिया।
सुमन के भीतर कई सालों से एक नन्हें से बच्चे के रोने की आवाज़ गूंज रही थी। अपने कलेजे पर पत्थर रख कर वह उसे रोता छोड़ आई थी। यह सोंच कर वह रांतों को जागती रहती थी कि ना जाने उसकी आवाज़ किसी ने सुनी भी थी या नहीं।
"सुमन तुमने तो समाज के लिए एक आदर्श पेश किया है। ना जाने वो कैसी माँ होगी जिसने इतने छोटे बच्चे को बेसहारा छोड़ दिया था।"
यह कहते हुए सुमन की सहेली ने उसे गले लगा लिया।
सुमन के भीतर कई सालों से एक नन्हें से बच्चे के रोने की आवाज़ गूंज रही थी। अपने कलेजे पर पत्थर रख कर वह उसे रोता छोड़ आई थी। यह सोंच कर वह रांतों को जागती रहती थी कि ना जाने उसकी आवाज़ किसी ने सुनी भी थी या नहीं।
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