रजनी ने लगभग सारी तैयारी कर ली थी। वह आखिरी बार उसका निरीक्षण कर रही थी। तभी उसकी माँ कमरे में आईं।
"बिटिया नौकरी के लिए इतनी दूर जाना आवश्यक है क्या ? जब तक मैं और तुम्हारे पापा ज़िंदा हैं तुम्हें फिक्र करने की क्या ज़रूरत है।"
रजनी ने उन्हें बैठा कर प्यार से समझाया।
"आप दोनों तो मेरी ताकत हैं। पर मम्मी हर एक को अपनी ज़िंदगी की लड़ाई खुद लड़नी चाहिए। आप लोगों ने मुझे इस लायक बनाया है।"
उसने मेज़ पर रखी अपने स्वर्गीय पति की तस्वीर उठा कर बैग में रख ली।
अब वह अपनी मंज़िल पर जाने को तैयार थी।
"बिटिया नौकरी के लिए इतनी दूर जाना आवश्यक है क्या ? जब तक मैं और तुम्हारे पापा ज़िंदा हैं तुम्हें फिक्र करने की क्या ज़रूरत है।"
रजनी ने उन्हें बैठा कर प्यार से समझाया।
"आप दोनों तो मेरी ताकत हैं। पर मम्मी हर एक को अपनी ज़िंदगी की लड़ाई खुद लड़नी चाहिए। आप लोगों ने मुझे इस लायक बनाया है।"
उसने मेज़ पर रखी अपने स्वर्गीय पति की तस्वीर उठा कर बैग में रख ली।
अब वह अपनी मंज़िल पर जाने को तैयार थी।
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें