दो दिनों से लगातार पानी बरस रहा था। चारों तरफ पानी ने त्राहि त्राहि मचा रखी थी। घर में पानी भर गया तो मरियम छत पर आकर मदद की राह देखने लगी।
"हे प्रभू ये कैसी विपदा आ गई। मेहनत से संजोई हुई गृहस्ती बर्बाद हो गई। अब तो रहम करो।"
तभी छत के ऊपर सेना का हैलीकॉप्टर मंडराता नज़र आया। प्रभू ने उसकी रक्षा के लिए दूत भेजे थे। वह हैलीकॉप्टर द्वारा लटकाई रस्सी पकड़े ऊपर जा रही थी। दूर तक शहर पानी के नीचे सोया हुआ था।
मरियम समझ नहीं पा रही थी। यह प्रकृति का क्रोध था या इंसानी लालच का परिणाम।
"हे प्रभू ये कैसी विपदा आ गई। मेहनत से संजोई हुई गृहस्ती बर्बाद हो गई। अब तो रहम करो।"
तभी छत के ऊपर सेना का हैलीकॉप्टर मंडराता नज़र आया। प्रभू ने उसकी रक्षा के लिए दूत भेजे थे। वह हैलीकॉप्टर द्वारा लटकाई रस्सी पकड़े ऊपर जा रही थी। दूर तक शहर पानी के नीचे सोया हुआ था।
मरियम समझ नहीं पा रही थी। यह प्रकृति का क्रोध था या इंसानी लालच का परिणाम।
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