धीरे धीरे उम्र निकलती जा रही थी पर विवेक अभी तक बेरोज़गार था। शुरू से मेधावी रहे विवेक ने कॉलेज के बाद तय कर लिया था कि वह सरकारी नौकरी ही करेगा। इसलिए सरकारी नौकरी के लिए परीक्षाएं देता रहता था। किंतु परीक्षा परिणाम आने में बहुत समय लगता था। कभी कभी परीक्षा निरस्त भी हो जाती थी। परीक्षा पास कर भी ले तो साक्षात्कार में रह जाता था।
लोगों ने समझाया कि सरकारी नौकरी की ज़िद छोड़ कर प्राइवेट सेक्टर में नौकरी कर ले। पर विवेक नहीं माना।
अब एक नौकरी के लिए साक्षात्कार था। वह पूरे मन से तैयारी कर रहा था। तभी उसका दोस्त राजेंद्र आ गया। उसने बताया कि खबर है कि इस नौकरी के लिए लेनदेन कर पहले ही सेटिंग हो चुकी है।
विवेक की उम्मीद चरमरा गई। पर फिर भी वह तैयारी में जुट गया।
लोगों ने समझाया कि सरकारी नौकरी की ज़िद छोड़ कर प्राइवेट सेक्टर में नौकरी कर ले। पर विवेक नहीं माना।
अब एक नौकरी के लिए साक्षात्कार था। वह पूरे मन से तैयारी कर रहा था। तभी उसका दोस्त राजेंद्र आ गया। उसने बताया कि खबर है कि इस नौकरी के लिए लेनदेन कर पहले ही सेटिंग हो चुकी है।
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