"मुझे तुमसे तलाक चाहिए." उसके पति ने सपाट शब्दों में अपना निर्णय सुना दिया. रुचिका आवाक् रह गई. उसका विश्वासी मन तो यह सोंच कर दुखता था कि उसका पति देर रात तक मेहनत करता है. पर वह नही जानती थी कि उसके कदम बहक चुके थे. तिनका तिनका सजाया गया यह घर अचानक उसे पराया लगने लगा.
सब तरफ चर्चा थी कि गीता पुलिस थाने के सामने धरने पर बैठी थी। उसने अजय के खिलाफ जो शिकायत की थी उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। पिछले कई महीनों से गीता बहुत परेशान थी। कॉलेज आते जाते अजय उसे तंग करता था। वह उससे प्रेम करने का दावा करता था। गीता उसे समझाती थी कि उसे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। वह सिर्फ पढ़ना चाहती है। लेकिन अजय हंस कर कहता कि लड़की की ना में ही उसकी हाँ होती है। गीता ने बहुत कोशिश की कि बात अजय की समझ में आ जाए कि उसकी ना का मतलब ना ही है। पर अजय नहीं समझा। पुलिस भी कछ नहीं कर रही थी। हार कर गीता यह तख्ती लेकर धरने पर बैठ गई कि 'लड़की की ना का सम्मान करो।' सभी उसकी तारीफ कर रहे थे।
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