जेलर कैदियों के काम का निरीक्षण कर रहे थे। यहाँ फर्नीचर बनाने का काम होता था। दीपक अपना काम करने में व्यस्त था। वह हमेशा चुप रहता था। कभी किसी से बात नहीं करता था।
दीपक हथौड़ी से एक कुर्सी में कील ठोंक रहा था। चूक होने के कारण हथौड़ी उसके अंगूठे पर लगी और तेजी से खून बहने लगा। जेलर भाग कर उसके पास आए। अपनी जेब से रुमाल निकाल कर उसके अंगूठे पर बाँध दिया।
दीपक खून से सने उस रुमाल को देख रहा था। सड़क पर पले बढ़े दीपक का खून झगड़ों के दौरान ना जाने कितनी बार बहा था। किंतु पहली बार किसी ने उसकी परवाह की थी।
दीपक हथौड़ी से एक कुर्सी में कील ठोंक रहा था। चूक होने के कारण हथौड़ी उसके अंगूठे पर लगी और तेजी से खून बहने लगा। जेलर भाग कर उसके पास आए। अपनी जेब से रुमाल निकाल कर उसके अंगूठे पर बाँध दिया।
दीपक खून से सने उस रुमाल को देख रहा था। सड़क पर पले बढ़े दीपक का खून झगड़ों के दौरान ना जाने कितनी बार बहा था। किंतु पहली बार किसी ने उसकी परवाह की थी।
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