विमला देवी अपने बेटे के नए घर के सजे संवरे ड्राइंगरूम में बैठी उसकी तरक्की के लिए ईश्वर को धन्यवाद दे रहीं थीं। भीतर बेटे बहू में कुछ कानाफूसी चल रही थी। कुछ देर में बेटा बाहर आया। " कैसी हो अम्मा" उसने सोफे पर बैठते हुए पूंछा।
"ठीक हूँ, डाक्टर को दिखा कर लौट रही थी, सोंचा तुमसे मिल लूं।"
बेटे ने उनके चहरे की तरफ देखा फिर कुछ सोंच कर बोला " तुम तो जानती हो अम्मा कितनी महंगाई है। नए घर की साज सजावट पर भारी खर्च आया। उस पर बच्चों का नया सेशन भी शुरू हो गया है।"
विमला देवी बेटे की बात का मतलब समझ गईं। " तुम बहुत दिनों से नहीं आये थे इसलिए मिलने चली आई। मेरे लिए तो पेंशन ही बहुत है।" यह कह कर वो उठ कर चल दीं।
पीछे से बेटे का खिसिआया स्वर सुनाई पड़ा ' मेरा वो मतलब नहीं था।'
"ठीक हूँ, डाक्टर को दिखा कर लौट रही थी, सोंचा तुमसे मिल लूं।"
बेटे ने उनके चहरे की तरफ देखा फिर कुछ सोंच कर बोला " तुम तो जानती हो अम्मा कितनी महंगाई है। नए घर की साज सजावट पर भारी खर्च आया। उस पर बच्चों का नया सेशन भी शुरू हो गया है।"
विमला देवी बेटे की बात का मतलब समझ गईं। " तुम बहुत दिनों से नहीं आये थे इसलिए मिलने चली आई। मेरे लिए तो पेंशन ही बहुत है।" यह कह कर वो उठ कर चल दीं।
पीछे से बेटे का खिसिआया स्वर सुनाई पड़ा ' मेरा वो मतलब नहीं था।'
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