कल रात अचानक ही बंसल साहब का निधन हो गया। मोहल्ले में जब यह समाचार फैला तो लोग उन्हें अंतिम विदाई देने उनके घर पर एकत्र हुए। अर्थी निकलने की तैयारी हो रही थी। मोहल्ले के दो बुज़र्ग खन्ना जी और पांडे जी बाहर बैठे बात कर रहे थे।
"अरे यह तो सबके साथ होना है। हम सब तो मुसाफिर हैं। ना जाने कब स्टेशन आ जाए और उतरना पड़े।" पांडे जी ने दार्शनिक अंदाज़ में कहा।
"सही कहा पांडे जी। लेकिन तब भी इंसान माया में फंसा रहता है।"
"सुना है बंसल किसी केस में फंसा था। पेंशन अटकी हुई थी।"
"अजी जुगाड़ू बंदा था। ऊपर तक पहुँच थी। सब क्लियर हो गया।" खन्ना जी ने रहस्य खोला।
"क्या लाभ ऐसे पैसे का। मरने पर इकलौता बेटा भी साथ नही है।"
"सही कहा पांडे जी। अब बेचारी मिसेज बंसल अकेली पड़ गईं।"
"अब यह तो सबके साथ है। इस उम्र में जीवनसाथी का ही सहारा होता है।"
"बिल्कुल सही। भाभी जी कैसी हैं।"
"बेटे बहू के लिए हुड़कती रहती हैं।"
"तो शेखर के पास क्यों नही चले जाते।"
"उनकी अपनी जिंदगी है। दोनों वर्किंग हैं। वहाँ भी दिन भर अकेले ही रहना है।"
अर्थी बस उठने वाली थी। खन्ना जी ने पूंछा "घाट तक जाएंगे क्या।"
"घाट तक जाने का मतलब लौट कर नहाना पड़ेगा। हम तो यहीं से घर लौट जाएंगे।"
"सही है। मैं भी यहीं से लौट जाऊँगा।"
"अब हम सब तो मुसाफिर हैं। कब किसका स्टेशन आ जाए।" पांडे जी ने फिर दर्शन बघारा।
"अरे यह तो सबके साथ होना है। हम सब तो मुसाफिर हैं। ना जाने कब स्टेशन आ जाए और उतरना पड़े।" पांडे जी ने दार्शनिक अंदाज़ में कहा।
"सही कहा पांडे जी। लेकिन तब भी इंसान माया में फंसा रहता है।"
"सुना है बंसल किसी केस में फंसा था। पेंशन अटकी हुई थी।"
"अजी जुगाड़ू बंदा था। ऊपर तक पहुँच थी। सब क्लियर हो गया।" खन्ना जी ने रहस्य खोला।
"क्या लाभ ऐसे पैसे का। मरने पर इकलौता बेटा भी साथ नही है।"
"सही कहा पांडे जी। अब बेचारी मिसेज बंसल अकेली पड़ गईं।"
"अब यह तो सबके साथ है। इस उम्र में जीवनसाथी का ही सहारा होता है।"
"बिल्कुल सही। भाभी जी कैसी हैं।"
"बेटे बहू के लिए हुड़कती रहती हैं।"
"तो शेखर के पास क्यों नही चले जाते।"
"उनकी अपनी जिंदगी है। दोनों वर्किंग हैं। वहाँ भी दिन भर अकेले ही रहना है।"
अर्थी बस उठने वाली थी। खन्ना जी ने पूंछा "घाट तक जाएंगे क्या।"
"घाट तक जाने का मतलब लौट कर नहाना पड़ेगा। हम तो यहीं से घर लौट जाएंगे।"
"सही है। मैं भी यहीं से लौट जाऊँगा।"
"अब हम सब तो मुसाफिर हैं। कब किसका स्टेशन आ जाए।" पांडे जी ने फिर दर्शन बघारा।
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