बरामदे में आराम कुर्सी पर बैठे निरंजन बहुत सुकून महसूस कर रहे थे। आज से इतने सालों की भागम भाग खत्म। अब वह रिटायर्ड जीवन जिएंगे। रोज़ सुबह सैर के लिए जाएंगे, किताबें पढ़ेंगे तथा बागबानी का शौक पूरा करेंगे।
आज विदाई समारोह में उनका कितना सम्मान हुआ। सभी ने उनकी ईमानदारी की प्रशंसा की। वह बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। पूरी सर्विस के दौरान उन्होंने इस बात का खयाल रखा कि कोई भी उन पर उंगली ना उठा सके। अपने बेदाग कैरियर पर उन्हें अभिमान था।
वह जब भीतर आए तो पत्नी की आवाज़ सुन कर दरवाज़े पर ही ठिठक गए। वह बेटे से कह रही थी।
"अब तो तुम्हारे पापा रिटायर हो गए। पेंशन से घर कैसे चलेगा।"
"पापा जिस पद पर थे चाहते तो हमारे लिए क्या नही कर सकते थे। कुछ नही तो मेरी नौकरी के लिए ही सिफारिश कर सकते थे। लेकिन उन्हें तो ईमानदारी हमसे ज्यादा प्रिय थी।" बेटे ने शिकायती लहजे में कहा।
इस बात को सुन कर निरंजन कुछ देर के लिए सकते में आ गए। लेकिन अपनी ईमानदारी पर उन्हें अब भी नाज़ था।
आज विदाई समारोह में उनका कितना सम्मान हुआ। सभी ने उनकी ईमानदारी की प्रशंसा की। वह बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। पूरी सर्विस के दौरान उन्होंने इस बात का खयाल रखा कि कोई भी उन पर उंगली ना उठा सके। अपने बेदाग कैरियर पर उन्हें अभिमान था।
वह जब भीतर आए तो पत्नी की आवाज़ सुन कर दरवाज़े पर ही ठिठक गए। वह बेटे से कह रही थी।
"अब तो तुम्हारे पापा रिटायर हो गए। पेंशन से घर कैसे चलेगा।"
"पापा जिस पद पर थे चाहते तो हमारे लिए क्या नही कर सकते थे। कुछ नही तो मेरी नौकरी के लिए ही सिफारिश कर सकते थे। लेकिन उन्हें तो ईमानदारी हमसे ज्यादा प्रिय थी।" बेटे ने शिकायती लहजे में कहा।
इस बात को सुन कर निरंजन कुछ देर के लिए सकते में आ गए। लेकिन अपनी ईमानदारी पर उन्हें अब भी नाज़ था।
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