रौनक समझ नही पा रहा था कि अचानक दीपा का मूड उखड़ क्यों गया। अभी तक तो पार्टी में सब से हंस हंस कर बात कर रही थी। उसने दीपा से पूंछा "क्या तबीयत ठीक नही है।"
"हाँ सर में दर्द है।" दीपा ने नजरें चुराते हुए कहा।
"ठीक है घर चलते हैं।" कह कर रौनक मेज़बान से इजाज़त लेने चला गया।
एक आदमी नशे में उसके पास आया। सर से पैर तक उसे घूरने लगा। उसकी नज़रें दीपा को चुभ रही थीं।
"तो अब गृहस्ती वाली हो गई हो।" बेशर्मी से हंसते हुए उसने दीपा को छूने की कोशिश की।
तभी रौनक ने उसका हाथ पकड़ कर झटक दिया "मर्यादा में रहिए।"
उसने दीपा का हाथ पकड़ा और बाहर चल दिया।
दीपा अभिभूत थी। चार साल पहले रौनक इसी तरह उसे उन अंधेरों से बाहर निकाल लाया था।
"हाँ सर में दर्द है।" दीपा ने नजरें चुराते हुए कहा।
"ठीक है घर चलते हैं।" कह कर रौनक मेज़बान से इजाज़त लेने चला गया।
एक आदमी नशे में उसके पास आया। सर से पैर तक उसे घूरने लगा। उसकी नज़रें दीपा को चुभ रही थीं।
"तो अब गृहस्ती वाली हो गई हो।" बेशर्मी से हंसते हुए उसने दीपा को छूने की कोशिश की।
तभी रौनक ने उसका हाथ पकड़ कर झटक दिया "मर्यादा में रहिए।"
उसने दीपा का हाथ पकड़ा और बाहर चल दिया।
दीपा अभिभूत थी। चार साल पहले रौनक इसी तरह उसे उन अंधेरों से बाहर निकाल लाया था।
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