राज दरबार में एक एक कर फरियादी अपनी शिकायत कर रहे थे।
पहले व्यक्ति ने आकर प्रणाम किया और अपनी व्यथा कहने लगा।
"मेरी जमीन पर दबंगों ने जबरन कब्ज़ा कर लिया है। मैंने शिकायत की थी पर कुछ हुआ नही।"
"जांच जारी है। अपराधियों को बख्शा नही जाएगा।"
दूसरा एक ग्रामीण था। डरते हुए बोला।
"हमें रोजगार देने की जो योजना बनी थी उसमें बहुत धांधली हो रही है हूजूर। कोई सुनवाई नही है।"
"जांच जारी है। अपराधियों को बख्शा नही जाएगा।"
इसके बाद एक मजबूर बाप आया। कुछ ना कर पाने की लाचारी चेहरे पर साफ झलक रही थी।
"मेरी बच्ची को रसूख़दार लोगों ने अगवा कर...." कहते हुए वह रो पड़ा।
आस पास की आँखें भी नम हो गईं।
"जांच जारी है। अपराधियों को बख्शा नही जाएगा।"
सामने सिंहासन पर एक तोता बैठा था।
पहले व्यक्ति ने आकर प्रणाम किया और अपनी व्यथा कहने लगा।
"मेरी जमीन पर दबंगों ने जबरन कब्ज़ा कर लिया है। मैंने शिकायत की थी पर कुछ हुआ नही।"
"जांच जारी है। अपराधियों को बख्शा नही जाएगा।"
दूसरा एक ग्रामीण था। डरते हुए बोला।
"हमें रोजगार देने की जो योजना बनी थी उसमें बहुत धांधली हो रही है हूजूर। कोई सुनवाई नही है।"
"जांच जारी है। अपराधियों को बख्शा नही जाएगा।"
इसके बाद एक मजबूर बाप आया। कुछ ना कर पाने की लाचारी चेहरे पर साफ झलक रही थी।
"मेरी बच्ची को रसूख़दार लोगों ने अगवा कर...." कहते हुए वह रो पड़ा।
आस पास की आँखें भी नम हो गईं।
"जांच जारी है। अपराधियों को बख्शा नही जाएगा।"
सामने सिंहासन पर एक तोता बैठा था।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें