शकुंतला काम पर जाने के लिए तैयार हो रही थी। उसकी सास अपनी पड़ोसन से शिकायत करने लगी "मेरे बेटे को गए अभी दिन ही कितने हुए हैं। पर इसने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए। चाय की दुकान खोल कर बैठी है। दिन भर कितने मर्द आते हैं वहाँ। पर ढीट सुनती ही नही।"
"इसे ही कलजुग कहते हैं।" पड़ोसन ने उसकी सास से हमदर्दी दिखाते हुए कहा।
शकुंतला ने बच्चों समय से तैयार होकर स्कूल जाने की हिदायत दी और दुकान चली गई।
"इसे ही कलजुग कहते हैं।" पड़ोसन ने उसकी सास से हमदर्दी दिखाते हुए कहा।
शकुंतला ने बच्चों समय से तैयार होकर स्कूल जाने की हिदायत दी और दुकान चली गई।
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