विभावरी अपने गाइड डॉ बसंत देव के सामने बैठी थी। वह उन्हें 'हिंदी साहित्य में नारी का स्थान' विषय पर किए गए शोध के अंश दिखाने आई थी।
शोध को पढ़ते हुए बसंत जी बोले "नारी की महानता का क्या कहना। वह माँ, पत्नी, बेटी, बहन और अन्य रूपों में अपनी ज़िम्मेदारी निभाती है। यही उसकी पहचान है। इसी कारण उसे देवी कहते हैं।"
कुछ देर मौन रहने के बाद विभावरी गंभीर स्वर में बोली "सर पुरूष भी पिता, पति, बेटा तथा भाई होता है। लेकिन समाज इसके अलग उसका व्यक्तित्व देखता है। फिर औरत की पहचान उसकी शख्सियत के बिखराव में ही क्यों है?"
बसंत देव सिर्फ उसका चेहरा देखते रहे।
शोध को पढ़ते हुए बसंत जी बोले "नारी की महानता का क्या कहना। वह माँ, पत्नी, बेटी, बहन और अन्य रूपों में अपनी ज़िम्मेदारी निभाती है। यही उसकी पहचान है। इसी कारण उसे देवी कहते हैं।"
कुछ देर मौन रहने के बाद विभावरी गंभीर स्वर में बोली "सर पुरूष भी पिता, पति, बेटा तथा भाई होता है। लेकिन समाज इसके अलग उसका व्यक्तित्व देखता है। फिर औरत की पहचान उसकी शख्सियत के बिखराव में ही क्यों है?"
बसंत देव सिर्फ उसका चेहरा देखते रहे।
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