नीता की चचेरी बहन विभा आई हुई थी। अतः आज शाम बाहर घूमने का प्लान था। तैयार होते हुए नीता इतराते हुए बोली "अभय मुझे उपहार देने का कोई मौका नहीं छोड़ते। बहुत प्रेम करते हैं मुझे।"
तभी अभय आ गया "क्या सारी शाम सजने में ही बिता दोगी। जल्दी करो।"
तैयार होकर तीनों निकल ही रहे थे कि नीता की चीख निकल गई। अचानक पैर मुड़ जाने से उसे मोच आ गई। विभा ने सहारा देकर बिस्तर पर बैठाया। मलहम लगाया। उसने गौर किया कि अभय के चेहरे पर पत्नी की तकलीफ़ का दर्द होने की जगह शाम के खराब हो जाने की झल्लाहट थी।
नीता जब कुछ अच्छा महसूस करने लगी तो अभय ने विभा से कहा "चलो अब हम दोनों ही घूमने चलते हैं।"
"पर दीदी को छोड़ कर कैसे चल सकते हैं।"
"उसे विमला संभाल लेगी।" अभय ने लापरवाही से मेड की तरफ इशारा कर कहा।
"दीदी को छोड़ कर मैं नहीं जाऊँगी। आप घूम आइए।" विभा ने अपना फैसला सुना दिया।
तभी अभय आ गया "क्या सारी शाम सजने में ही बिता दोगी। जल्दी करो।"
तैयार होकर तीनों निकल ही रहे थे कि नीता की चीख निकल गई। अचानक पैर मुड़ जाने से उसे मोच आ गई। विभा ने सहारा देकर बिस्तर पर बैठाया। मलहम लगाया। उसने गौर किया कि अभय के चेहरे पर पत्नी की तकलीफ़ का दर्द होने की जगह शाम के खराब हो जाने की झल्लाहट थी।
नीता जब कुछ अच्छा महसूस करने लगी तो अभय ने विभा से कहा "चलो अब हम दोनों ही घूमने चलते हैं।"
"पर दीदी को छोड़ कर कैसे चल सकते हैं।"
"उसे विमला संभाल लेगी।" अभय ने लापरवाही से मेड की तरफ इशारा कर कहा।
"दीदी को छोड़ कर मैं नहीं जाऊँगी। आप घूम आइए।" विभा ने अपना फैसला सुना दिया।
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