अपने नवजात बच्चे को हाथ में लेकर अनुज का अशांत मन शांत हो गया। उसने मानसी की तरफ देखा। अपनी उलझनों में फंसा वह उसकी सही प्रकार से देखभाल भी नहीं कर सका।
उसके अचानक लिए गए फैसले का मानसी ने पूरा समर्थन किया था। उसी के सहयोग से उसने नौकरी छोड़ अपना पूरा ध्यान लेखन में लगा दिया। उसी समय उसे खबर मिली कि वह पिता बनने वाला है। पर मानसी ने उससे अपना ध्यान लेखन में लगाने को कहा।
अपनी किताब पूरी कर वह प्रकाशकों के पास चक्कर लगा रहा था। पर कहीं बात नहीं बन पा रही थी। इसलिए वह बहुत परेशान था।
अनुज ने मानसी की तरफ देख कर कहा "तुम जब दर्द से तड़प रही थी तब मैं डर गया था। बहुत दर्द हो रहा था तुम्हें।"
मानसी ने हल्के से मुस्कुरा कर कहा "दर्द सहे बिना सच्ची खुशी नहीं मिलती है।"
हताशा के दर्द से जूझ रहे अनुज को अपनी पत्नी की इस बात से बहुत बल मिला।
उसके अचानक लिए गए फैसले का मानसी ने पूरा समर्थन किया था। उसी के सहयोग से उसने नौकरी छोड़ अपना पूरा ध्यान लेखन में लगा दिया। उसी समय उसे खबर मिली कि वह पिता बनने वाला है। पर मानसी ने उससे अपना ध्यान लेखन में लगाने को कहा।
अपनी किताब पूरी कर वह प्रकाशकों के पास चक्कर लगा रहा था। पर कहीं बात नहीं बन पा रही थी। इसलिए वह बहुत परेशान था।
अनुज ने मानसी की तरफ देख कर कहा "तुम जब दर्द से तड़प रही थी तब मैं डर गया था। बहुत दर्द हो रहा था तुम्हें।"
मानसी ने हल्के से मुस्कुरा कर कहा "दर्द सहे बिना सच्ची खुशी नहीं मिलती है।"
हताशा के दर्द से जूझ रहे अनुज को अपनी पत्नी की इस बात से बहुत बल मिला।
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