पुष्पा सुबह सो कर उठी तो देखे गए सपने के कारण बहुत खुश थी। जो सपना उसने देखा उसके पूरा होने की दो साल से राह देख रही थी। उसका बेटा खेलने के लिए घर से बाहर गया था। लेकिन लौट कर नहीं आया। उसे ढूंढ़ने के लिए हर संभव प्रयास किया गया पर सब व्यर्थ साबित हुआ। पिछले एक साल से पुष्पा के सिवा सबने उसके मिलने की आस छोड़ दी थी।
पूरा दिन वह बेटे का इंतज़ार करती रही। लेकिन वह नहीं लौटा। रात को बिस्तर पर लेटी तो पति ने समझाया "मान क्यों नहीं लेती कि अब वह नहीं लौटेगा।"
पुष्पा की आँखों से दो आंसू गिर पड़े। चेहरे पर दिल का दर्द उभर आया "यह इंतज़ार तो मेरे साथ ही खत्म होगा।"
पूरा दिन वह बेटे का इंतज़ार करती रही। लेकिन वह नहीं लौटा। रात को बिस्तर पर लेटी तो पति ने समझाया "मान क्यों नहीं लेती कि अब वह नहीं लौटेगा।"
पुष्पा की आँखों से दो आंसू गिर पड़े। चेहरे पर दिल का दर्द उभर आया "यह इंतज़ार तो मेरे साथ ही खत्म होगा।"
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें