राहुल बहुत परेशान था. यहाँ भी कोई बात नही बन पाई. कितने सपने लेकर यहाँ आया था. सोंचा था इस इंडस्ट्री में अपना नाम बनाएगा. उसमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी. बस एक रोल मिल जाए तो वह स्वयं को साबित कर देगा.
साल भर पहले जो जमा पूँजी लेकर आया था वह खत्म हो गई. एक रेस्त्रां में वेटर का काम कर जैसे तैसे गुजर कर रहा था. हाथ हमेशा तंग ही रहते थे.
दूर से उसे बस दिखाई दी वह तेजी से भागा. किंतु उसके पहुँचने से पहले ही वह आगे बढ़ गई. हताश वह अगली बस का इंतज़ार करने लगा. तभी उसकी निगाह नीचे गिरे एक वॉलेट पर पड़ी. उसने इधर उधर देखा फिर उसे उठा लिया. वॉलेट में पैसे थे. कुछ दिन आराम से कट सकते थे. उसके मन में लालच आ गया. वह उसे जेब में रखने ही वाला था कि तभी उसे लगा जैसे उसकी स्वर्गीय माँ उसके सामने खड़ी हों.
'जो मुश्किल में पथभ्रष्ट हो जाए वह कभी मंज़िल नहीं पाता.'
माँ की दी हुई सीख उसके कानों में गूंजने लगी.
वह संभल गया. वॉलेट में एक पहचान पत्र था. उसने तय कर लिया कि वह यह वॉलेट उसके मालिक को लौटा देगा.
साल भर पहले जो जमा पूँजी लेकर आया था वह खत्म हो गई. एक रेस्त्रां में वेटर का काम कर जैसे तैसे गुजर कर रहा था. हाथ हमेशा तंग ही रहते थे.
दूर से उसे बस दिखाई दी वह तेजी से भागा. किंतु उसके पहुँचने से पहले ही वह आगे बढ़ गई. हताश वह अगली बस का इंतज़ार करने लगा. तभी उसकी निगाह नीचे गिरे एक वॉलेट पर पड़ी. उसने इधर उधर देखा फिर उसे उठा लिया. वॉलेट में पैसे थे. कुछ दिन आराम से कट सकते थे. उसके मन में लालच आ गया. वह उसे जेब में रखने ही वाला था कि तभी उसे लगा जैसे उसकी स्वर्गीय माँ उसके सामने खड़ी हों.
'जो मुश्किल में पथभ्रष्ट हो जाए वह कभी मंज़िल नहीं पाता.'
माँ की दी हुई सीख उसके कानों में गूंजने लगी.
वह संभल गया. वॉलेट में एक पहचान पत्र था. उसने तय कर लिया कि वह यह वॉलेट उसके मालिक को लौटा देगा.
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