सूरज दूसरी बार भी पुलिस की भर्ती परीक्षा में पास नहीं हो सका. भाभी के तंज और आस पड़ोस के बेवजह सवालों से वह तंग आ गया था. हताशा उस पर हावी हो गई थी. उसने मन बना लिया कि अब वह और प्रयास नहीं करेगा. सोंचने लगा यदि माँ जीवित होती तो उसके दुखी मन को सांत्वना देती. पर माँ को गुज़रे तो कई साल बीत गए.
अपने परेशान मन को शांत करने के लिए वह नदी किनारे आकर बैठ गया. मंद पवन के झोंके बहुत सुखद लग रहे थे. उसे लगा जैसे माँ उसके माथे को थीरे धीरे सहला रही हो. उसे झपकी लग गई.
कुछ झणों के पास जब वह जागा तो उसने देखा कि एक कठफोड़वा पेड़ के तने पर लगातार चोंच से प्रहार कर रहा था. उसके मन में विचार आया कि प्रकृति ने भी कैसे कैसे जीव बनाए हैं. लगातार प्रयास से यह पक्षी तने में छेद कर अपना घोंसला बनाएगा. वह प्रकृति की इस आश्चर्यजनक रचना पर मुग्ध था. तभी मन से आवाज़ आई 'तुम तो दूसरे प्रयास में ही हार मान गए.'
मन की सारी हताशा दूर हो गई. अब उसे किसी के तानों या उपहास की परवाह नहीं थी. एक इरादे के साथ वह उठा और अपना मस्तक भूमि पर लगा कर प्रकृति माँ को प्रणाम किया.
अपने परेशान मन को शांत करने के लिए वह नदी किनारे आकर बैठ गया. मंद पवन के झोंके बहुत सुखद लग रहे थे. उसे लगा जैसे माँ उसके माथे को थीरे धीरे सहला रही हो. उसे झपकी लग गई.
कुछ झणों के पास जब वह जागा तो उसने देखा कि एक कठफोड़वा पेड़ के तने पर लगातार चोंच से प्रहार कर रहा था. उसके मन में विचार आया कि प्रकृति ने भी कैसे कैसे जीव बनाए हैं. लगातार प्रयास से यह पक्षी तने में छेद कर अपना घोंसला बनाएगा. वह प्रकृति की इस आश्चर्यजनक रचना पर मुग्ध था. तभी मन से आवाज़ आई 'तुम तो दूसरे प्रयास में ही हार मान गए.'
मन की सारी हताशा दूर हो गई. अब उसे किसी के तानों या उपहास की परवाह नहीं थी. एक इरादे के साथ वह उठा और अपना मस्तक भूमि पर लगा कर प्रकृति माँ को प्रणाम किया.
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