पंद्रह साल की ज्योती के लिए पैंतीस साल के रामसजीवन का रिश्ता आया था. पहली पत्नी प्रसूति के समय चल बसी थी. ज्योती ने अपनी माँ से कहा "अम्मा अभी तो हमारी उम्र भी नही हुई. फिर जल्दी किस बात की है." उसकी माँ ने जवाब दिया "बिटिया हम गरीबों की छाती से बेटी का भार जितनी जल्दी उतर जाए अच्छा है." अपनी माँ का जवाब उसके दिल में चुभ गया "क्यों अम्मा घर के हर काम में मैं हाथ बटाती हूँ. तुम्हारे साथ बापू का हाथ बंटाने खेत पर भी जाती हूँ. फिर मैं भार कैसे." उसकी माँ मौन थी. यह तो वह पुख़्ता सवाल था जो इस समाज की बेटियां सदियों से पूंछ रही हैं.
एक पुख़्ता सवाल
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