बैरंग चिठ्ठी की तरह एक दिन अचानक बिट्टो बुआ आ धमकीं. परिवार का माहौल अच्छा नही चल रहा था. पति पत्नी के बीच तनाव था. इसका असर बच्चों पर भी पड़ रहा था. वंश कुछ कह भी नही सकता था. बचपन में बुआ की ममता और सेवा ही उसे मौत के मुंह से खींच लाई थी. आते ही बुआ ने घर पर जैसे नियंत्रण कर लिया. अपनी इच्छा से रोज़ कुछ नया पका लेती. सबको एक साथ बैठ कर खाना पड़ता. साथ में कोई पुराना किस्सा ले बैठतीं. आरंभ में यह सब बहुत उबाऊ प्रतीत होता था. किंतु धीरे धीरे फिज़ा बदलने लगी. बच्चे इस सब से खुश होने लगे. पति पत्नी भी एक दूसरे को देख मुस्कुराने लगे. और एक दिन बिट्टो बुआ जैसे आईं थीं वैसे ही अचानक चली गईं. किंतु परिवार की सारी आंखें नम थीं.
बैरंग चिठ्ठी की तरह एक दिन अचानक बिट्टो बुआ आ धमकीं. परिवार का माहौल अच्छा नही चल रहा था. पति पत्नी के बीच तनाव था. इसका असर बच्चों पर भी पड़ रहा था. वंश कुछ कह भी नही सकता था. बचपन में बुआ की ममता और सेवा ही उसे मौत के मुंह से खींच लाई थी. आते ही बुआ ने घर पर जैसे नियंत्रण कर लिया. अपनी इच्छा से रोज़ कुछ नया पका लेती. सबको एक साथ बैठ कर खाना पड़ता. साथ में कोई पुराना किस्सा ले बैठतीं. आरंभ में यह सब बहुत उबाऊ प्रतीत होता था. किंतु धीरे धीरे फिज़ा बदलने लगी. बच्चे इस सब से खुश होने लगे. पति पत्नी भी एक दूसरे को देख मुस्कुराने लगे. और एक दिन बिट्टो बुआ जैसे आईं थीं वैसे ही अचानक चली गईं. किंतु परिवार की सारी आंखें नम थीं.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें