उसने अपनी पहली कमाई लाकर अपने माता पिता को सौंप दी. अब तक वो दोनों मिलकर गृहस्ती की गाड़ी खींच रहे थे. आज उनकी बिटिया उस तीसरे पहिए की तरह जुड़ गई जो बिना रुकावट डाले बाकी के दो पहियों को संतुलन प्रदान करता है.
सब तरफ चर्चा थी कि गीता पुलिस थाने के सामने धरने पर बैठी थी। उसने अजय के खिलाफ जो शिकायत की थी उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। पिछले कई महीनों से गीता बहुत परेशान थी। कॉलेज आते जाते अजय उसे तंग करता था। वह उससे प्रेम करने का दावा करता था। गीता उसे समझाती थी कि उसे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। वह सिर्फ पढ़ना चाहती है। लेकिन अजय हंस कर कहता कि लड़की की ना में ही उसकी हाँ होती है। गीता ने बहुत कोशिश की कि बात अजय की समझ में आ जाए कि उसकी ना का मतलब ना ही है। पर अजय नहीं समझा। पुलिस भी कछ नहीं कर रही थी। हार कर गीता यह तख्ती लेकर धरने पर बैठ गई कि 'लड़की की ना का सम्मान करो।' सभी उसकी तारीफ कर रहे थे।
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