सतपाल अपने घर के मोड़ पर आकर रुक गया। उसे लग रहा था कि आज वह कुछ जल्दी ही घर पहुँच गया। लेकिन मन ने कहा कि समय तो उतना ही लगा है पर वक्त ठीक नहीं चल रहा। तभी तो वह अपने ही घर जाने से कतरा रहा है।
रोज़ वह सुबह काम के लिए निकलता और शाम को घर लौट आता था। किंतु आज पगार मिलनी थी। वह डर रहा था कि किस प्रकार घर में उम्मीद से राह देखते लोगों का सामना करेगा। कैसे उन्हें बताएगा कि उसकी नौकरी चली गई थी। पिछले एक महीने से वह काम पर नहीं बल्कि काम की तलाश में जा रहा था। जो आज भी नहीं मिला।
रोज़ वह सुबह काम के लिए निकलता और शाम को घर लौट आता था। किंतु आज पगार मिलनी थी। वह डर रहा था कि किस प्रकार घर में उम्मीद से राह देखते लोगों का सामना करेगा। कैसे उन्हें बताएगा कि उसकी नौकरी चली गई थी। पिछले एक महीने से वह काम पर नहीं बल्कि काम की तलाश में जा रहा था। जो आज भी नहीं मिला।
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