समीर समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे. आज उसकी रिपोर्ट देख कर बॉस ने फिर कहा "इसमें थोड़ा और मसाला डालो. टी.आर.पी का सवाल है."
उसने तो इस रिपोर्ट के माध्यम से समाज के एक वर्ग की समस्या पर रौशनी डालनी चाही थी. किंतु बॉस को सच्चाई से अधिक मसाला चाहिए. अचानक ही मन में एक प्रश्न गूंजा "कौन हो तुम"
अचानक उठे इस प्रश्न पर पहले तो वह चकित हुआ. फिर इस प्रश्न का औचित्य समझ आया. यह उसकी अंतर्आत्मा थी जो कहना चाहती थी कि जिस उद्देश्य से वह पत्रकार बना था वह पूरा नहीं हो रहा है. उसने खुद को धिक्कारा. वह पत्रकार है चाटवाला नहीं कि लोगों के स्वाद के अनुसार मसाला मिलाए.
उसने तो इस रिपोर्ट के माध्यम से समाज के एक वर्ग की समस्या पर रौशनी डालनी चाही थी. किंतु बॉस को सच्चाई से अधिक मसाला चाहिए. अचानक ही मन में एक प्रश्न गूंजा "कौन हो तुम"
अचानक उठे इस प्रश्न पर पहले तो वह चकित हुआ. फिर इस प्रश्न का औचित्य समझ आया. यह उसकी अंतर्आत्मा थी जो कहना चाहती थी कि जिस उद्देश्य से वह पत्रकार बना था वह पूरा नहीं हो रहा है. उसने खुद को धिक्कारा. वह पत्रकार है चाटवाला नहीं कि लोगों के स्वाद के अनुसार मसाला मिलाए.
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