विपिन की एक आदत उसके जानने वालों को अच्छी नहीं लगती थी. वह यह जतलाने की कोशिश करता था कि दुनिया का हर काम वह आसानी से कर सकता है. जब भी कोई किसी के हुनर की तारीफ करता तो वह बीच में ही बोल पड़ता "यह कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है. आराम से किया जा सकता है." उसकी यह आदत उसकी साली को सख़्त नापसंद थी.
एक बार विपिन अपनी ससुराल में था. सभी बातचीत कर रहे थे. तभी उसके छोटे साले ने आकर कहा "अचानक कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर में कोई खराबी आ गई है. मुझे एक जरूरी प्रोजक्ट बनाना है."
उसकी साली ने कहा "अगर प्रकाश भाईसाहब होते तो कंप्यूटर ठीक कर देते."
उसकी बात सुनते ही विपिन बोल उठा "अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है."
यह सुनते ही उसकी साली खीझ कर बोली "तो जीजाजी आप ही ठीक कर दीजिए."
यह सुनते ही विपिन खिसिया गया "वो मेरा सर दर्द कर रहा है. वरना यह काम बहुत मुश्किल नहीं है."
एक बार विपिन अपनी ससुराल में था. सभी बातचीत कर रहे थे. तभी उसके छोटे साले ने आकर कहा "अचानक कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर में कोई खराबी आ गई है. मुझे एक जरूरी प्रोजक्ट बनाना है."
उसकी साली ने कहा "अगर प्रकाश भाईसाहब होते तो कंप्यूटर ठीक कर देते."
उसकी बात सुनते ही विपिन बोल उठा "अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है."
यह सुनते ही उसकी साली खीझ कर बोली "तो जीजाजी आप ही ठीक कर दीजिए."
यह सुनते ही विपिन खिसिया गया "वो मेरा सर दर्द कर रहा है. वरना यह काम बहुत मुश्किल नहीं है."
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