बक्से से सामान निकालते हुए कुछ गिर गया. सावित्री के उठाने से पहले ही उसके बेटे श्रवण ने लपक कर उसे उठा लिया.
"यह गुड़िया किसकी है मम्मी."
"मेरी है." सावित्री झिझकते हुए बोली.
"इतनी बड़ी होकर तुम गुड़िया से खेलती हो." नन्हा श्रवण कौतुहल से बोला.
"बचपन में खेलती थी. सोंचा था तेरी बहन को दूँगी."
"तो मेरे लिए बहन क्यों नहीं लातीं. मेरा बहुत मन करता है बहन के साथ खेलने का."
उसकी बात सुनकर सावित्री उदास हो गई. गुड़िया वापस लेकर श्रवण को खेलने भेज दिया.
उसकी आँखों से कुछ आंसू टपक गए. यह श्रद्धांजली थे उन तीन बच्चियों के लिए जिन्हें गर्भ में ही मार दिया गया था.
"यह गुड़िया किसकी है मम्मी."
"मेरी है." सावित्री झिझकते हुए बोली.
"इतनी बड़ी होकर तुम गुड़िया से खेलती हो." नन्हा श्रवण कौतुहल से बोला.
"बचपन में खेलती थी. सोंचा था तेरी बहन को दूँगी."
"तो मेरे लिए बहन क्यों नहीं लातीं. मेरा बहुत मन करता है बहन के साथ खेलने का."
उसकी बात सुनकर सावित्री उदास हो गई. गुड़िया वापस लेकर श्रवण को खेलने भेज दिया.
उसकी आँखों से कुछ आंसू टपक गए. यह श्रद्धांजली थे उन तीन बच्चियों के लिए जिन्हें गर्भ में ही मार दिया गया था.
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