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पहचान

रजत ने घड़ी की तरफ देखा। अभी पूरा एक घंटा बाकी था।वह फिर इधर उधर टहलने लगा। अब बच्चों में वह आकर्षण नहीं था।फिर भी वह उनका ध्यान खीचने का प्रयास कर रहा था। पर बच्चे अब उतने उत्साहित नहीं थे। उनका ध्यान खाने पीने एवं अन्य गतिविधियों में था।

रजत इस काम से बहुत खुश नहीं था। परन्तु उसके पास अन्य कोई चारा भी नहीं था। उसे और कोई काम मिल नहीं रहा था। वैसे काम कुछ खास नहीं था। बस चहरे पर लाल पीला रंग लगाकर और जोकर का कास्टुयूम पहन कर बच्चों का मनोरंजन करना था।

रजत ने अर्थशास्त्र में एम . ऐ . किया था। किन्तु बिना किसी प्रोफेशनल डिग्री के उसे कोई ढंग का काम नहीं मिल रहा था। वह एम . बी . ऐ . करना चाहता था। किन्तु पिता की बीमारी में उनके सारे जीवन की जमा पूंजी ख़त्म हो गयी। उसका सपना सपना ही रह गया। घर की माली हालत ठीक न होने के कारण उसे काम की तलाश में निकलना पड़ा। कई जगह भटकने के बाद भी उसे कोई ढंग का काम नहीं मिला। उन्हीं दिनों उसके एक दोस्त ने यह काम सुझाया " एक काम है करोगे। रोज़ सिर्फ कुछ ही घंटों का काम और पैसे भी अच्छे मिलेंगे।"  " कोई गैरकानूनी काम तो नहीं।" रजत ने आशंका जताई। उसके दोस्त ने दिलासा देते हुए कहा " नहीं कोई ऐसा वैसा काम नहीं है। आज कल बड़े लोगों की पार्टियों में चलन है बच्चों को खुश करने के लिए जोकर बुलाते हैं। तुम्हे जोकर बनकर उन्हें बहलाना होगा। मैं एक आदमी को जनता हूँ जो पार्टियों में जोकर सप्प्लाई करता है। कहो तो बात करूं।"  रजत को पहले तो झिझक महसूस हुई पर और कोई रास्ता न देखकर उसने हाँ कर दी।

वैसे इतने कम समय में उसे इतने पैसे किसी भी काम में नहीं मिलते किन्तु फिर भी उसे दूसरों के बीच स्वयं को तमाशा बनाना अच्छा नहीं लगता था। रंग बिरंगे मेक -अप के पीछे उसकी सख्शियत दब कर रह जाती थी। सबके लिए वह महज एक मनोरंजन की वस्तु था। उसके साथ इस काम में लगे बहुत से लोगों को तो अपना नाम लिखना भी नहीं आता था। सभी उसे भी उन्हीं जैसा समझते थे। यह बात उसे कष्ट देती थी। वह जल्द से जल्द इस काम को छोड़ना चाहता था किन्तु उसे कोई दूसरा काम मिल नहीं रहा था।

पार्टी ख़त्म हो गयी और उसकी ड्यूटी भी। उसने अपना चेहरा धोया।लाल पीले रंगों की परत पानी में बह गयी। आईने में उसका चेहरा दिखाई पड़  रहा था। उसने जोकर का कास्टुयूम उतरा और अपने कपडे पहने। अब वह मनोरंजन की वस्तु नहीं था। वह रजत था एक ऐसा नौजवान जिसे एक ऐसी नौकरी की तलाश थी जहाँ उसे मेक - अप के पीछे अपनी  पहचान को न छिपाना पड़े।

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