कुनाल की बर्थ डे पार्टी चल रही थी। उसके सारे दोस्त बहुत मज़ा कर रहे थे। किन्तु कुनाल को चिंटू का वहां उपस्थित होना आखर रहा था। चिंटू उस के घर काम करने वाली कमला का बेटा था। कुनाल की मम्मी ने उसे हाथ बटाने के लिए बुलाया था। वह अपने साथ चिंटू को भी ले आई। चिंटू बहुत कौतुहल से सब देख रहा था। कुनाल ने दो एक बार आँखों ही आँखों में उसे घुड़का किन्तु वह बार बार उन लोगों के बीच आ जाता था।
पार्टी ख़त्म होने पर सब अपने अपने घर चले गए। कमला भी चिंटू को लेकर चली गई। सबके जाने के बाद कुनाल अपने गिफ्ट्स देखने लगा। उसकी नज़र सब से अलग पड़े एक गिफ्ट पर पड़ी। यह गिफ्ट एक लाल कागज़ में लिपटा था। कुनाल ने उसे खोला तो उसमें बहुत साधारण सा एक खिलौना था। " देखो मम्मी ये गिफ्ट कितना घटिया है। किसने दिया।" उसने गिफ्ट ऐसे पकड़ा था जैसे कोई गन्दी सी वस्तु हो। " यह गिफ्ट चिंटू ने दिया है।" उसकी मम्मी ने बताया। " ऐसे बकवास खिलौनों से मैं नहीं खेलता। देखो मेरे दोस्तों ने कितने शानदार गिफ्ट्स दिए हैं।" कुनाल की मम्मी को उसका यह बर्ताव बुरा लगा " यहाँ आओ कुनाल" उन्होंने कुनाल को अपने सामने बिठाया और समझते हुए बोलीं " तुम्हारे सब दोस्तों के गिफ्ट्स महगें हैं क्योंकि वो ऐसे महंगे गिफ्ट्स खरीद सकते हैं। उन्हें पता है की आज अगर वो तुम्हें महंगे तोहफे देंगे तो कल उनके जन्मदिन पर तुम भी उन्हें ऐसा ही महंगा गिफ्ट दोगे। पर चिंटू की माँ के पास इतने पैसे नहीं हैं वह घरों में काम कर के अपना और अपने बच्चों का पेट पाल रही है। फिर भी चिंटू अपने थोड़े से पैसों में से तुम्हारे लिए यह गिफ्ट लाया है ।" कुछ रुक कर वह बोलीं " देखो बेटा किसी भी तोहफे की कीमत देने वाले की भावना से होती है। इसलिए दूसरों की भावना का सम्मान करना सीखो।"
रात में अपने बिस्तर पर पड़े हुए कुनाल अपनी मम्मी की बात पर विचार करने लगा। बात उसकी समझ में आ गयी थी। सुबह उसने अपनी मम्मी से अपने बर्ताव के लिए क्षमा मांगी। उसने अपने खिलोनों में से एक अच्छा सा खिलौना निकाल कर अपनी मम्मी को दिया " मम्मी यह चिंटू का रिटर्न गिफ्ट है। आज मैं उसे दूंगा।" उसकी मम्मी ने उसे गले लगा लिया।
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