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तुम्हारा दर्द

 


विभा ने रिपोर्ट को गौर से देखा। उसका चेहरा दमक उठा। उसने अपना मोबाइल उठा कर कर नंबर मिलाया     " हैलो नकुल ....मुझे तुमसे खास बात करनी है ......नहीं फ़ोन पर नहीं ......ठीक है तो शाम को मिलते हैं।" विभा ने फ़ोन रख दिया और गुनगुनाने लगी। यह उसका मनपसंद गाना है। जब भी वह बहुत खुश होती है यही गीत गुनगुनाती है।
आज दो वर्षों में पहली बार उसे इतना खुश देखा। पिछले दो वर्ष तो उसके लिए किसी सजा के सामान थे। उसके कॉलेज के दिनों का  प्रेमी जिस के साथ वह ज़ल्द ही घर बसाने वाली थी एक सड़क दुर्घटना में मारा गया। विभा पूरी तरह टूट गयी। उसने स्वयं को एक दायरे में बंद कर लिया। न किसी से मिलाना, जुलना न कहीं आना जाना, बस घर से दफ्तर दफ्तर से घर।

उसे इस दायरे से निकला नकुल ने। उसने छः महीने पहले उसकी कंपनी ज्वाइन की थी। नकुल एक आकर्षक,मिलनसार, सौम्य और हंसमुख व्यक्ति था। धीरे धीरे विभा उससे खुलने लगी। शुरूआती दोस्ती धीरे धीरे प्यार में बदल गयी। दोनों हर जगह साथ साथ जाते। उन्हें साथ देख सभी खुश थे और ज़ल्द ही उनके विवाह बंधन में बंधने की प्रतीक्षा कर रहे थे। विभा भी कई दिनों से नकुल से इस बारे में बात करना चाहती थी।

शाम को जब वह रेस्टोरेंट पहुंची तो नकुल पहले से ही उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। विभा का हाँथ अपने हाँथ में लेकर बोला " क्या बात है आज तुम्हारा चेहरा बहुत चमक रहा है।" विभा ने पर्स से रिपोर्ट निकाल कर उसके सामने रख दी। रिपोर्ट पढ़ते ही नकुल का चेहरा फीका पड़ गया। उसे परेशान देख कर विभा ने कहा " हम जल्दी ही शादी कर लेंगे।" नकुल के चहरे पर एक मुस्कान तैर गयी " आर यू  किडिंग , लुक विभा मैंने कभी तुम्हारे साथ कोई कमिटमेंट नहीं किया। शादी वादी  मेरे लिए नही  है।" कुछ रुक कर बोला " डोंट वरी वी  विल गेट रिड ऑफ इट। आई  विल हेल्प यू।" विभा को लगा जैसे उसके वजूद को किसी ने गन्दी गाली दी हो। क्रोध से तिलमिला  कर बोली " नो थैंक्स नकुल मुझे तुम्हारी मदद नहीं चाहिए। मैं खुद सब हैंडल कर लूंगी।" यह कह कर वह वह वहाँ से चली आई।

विभा कमरे में इधर से उधर टहल रही थी।  उसको बहुत ठेस पहुंची थी। वह बहुत दुखी थी।  अचानक न जाने क्या सूझा वह कपड़ों समेत शावर के नीचे बैठ गयी। जाने क्या था जिसे वह धो डालना चाहती थी।उसके दिल का गुबार एक शब्द के रूप में उसके मुह से निकल गया " बास्टर्ड"। वह जोर जोर से रोने लगी। मेरा दिल भर आया। मैं उसे बाँहों में कस लेने को तड़प उठा। मैं उसे तसल्ली देना चाहता था। उसे पुचकार कर सम्हालना चाहता था। पर मैं मजबूर था। अपनी बेबसी पर मुझे बहुत क्रोध आ रहा  था। चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता था।   क्यों ......
अरे मैं ही तो हूँ उसका खोया हुआ प्यार। क्योंकि भूत हूँ मैं।

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